‘क्लेरियन-क्लिपर्टन जोन’ में खनिजों की खोज करने की भारत की योजना
भारत प्रशांत महासागर में गहरे समुद्र में खनिजों की खोज के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करेगा। गौरतलब हैं कि संयुक्त राष्ट्र समर्थित अंतर्राष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी (ISA) ने गहरे समुद्र में एक्सप्लोरेशन हेतु 31 लाइसेंस जारी किए हैं, जिनमें हिंद महासागर में एक्सप्लोरेशन के लिए भारत को दो लाइसेंस भी शामिल हैं, लेकिन अभी तक खनन की अनुमति नहीं दी गई है क्योंकि 36-सदस्यीय सीबेड अथॉरिटी अभी भी इस पर नियम बना रहा है।
क्लेरियन-क्लिपर्टन जोन
चीन, रूस और कुछ प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों ने पहले ही प्रशांत महासागर के लिए एक्सप्लोरेशन लाइसेंस हासिल कर लिए हैं। भारत मुख्य रूप से प्रशांत महासागर के क्लेरियन-क्लिपर्टन जोन (Clarion-Clipperton Zone) पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रहा है।
क्लेरियन-क्लिपर्टन ज़ोन हवाई द्वीप और मैक्सिको के बीच एक विशाल प्लेन है, जो बड़ी मात्रा में पॉलीमेटेलिक नोड्यूल रखने के लिए जाना जाता है, जिसमें मैंगनीज, निकल, तांबा और कोबाल्ट सहित इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर पैनलों में इस्तेमाल होने वाले खनिज होते हैं।
भारत को इस साल हिन्द महासागर के लिए अथॉरिटी से दो और अन्वेषण परमिट प्राप्त होने की उम्मीद है, जो कार्ल्सबर्ग रिज और अफानासी-निकितिन सीमाउंट क्षेत्रों पर केंद्रित है, जो पॉलीमेटेलिक सल्फाइड भंडार के लिए जाना जाता है।
पॉलीमेटेलिक सल्फाइड भंडार में तांबा, सोना, चांदी और जस्ता जैसी धातुएं होती हैं। फेरोमैंगनीज क्रस्ट अन्य संसाधनों के अलावा कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज, प्लैटिनम और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के लिए जाने जाते हैं।