ब्लड-ब्रेन बैरियर (BBB) और चिटोसन

नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), मोहाली के वैज्ञानिकों ने चुनौतीपूर्ण ब्लड-ब्रेन बैरियर (BBB) ​​से बचते हुए क्षय रोग (TB) की दवाओं को सीधे मस्तिष्क तक पहुँचाने का एक अनूठा तरीका बनाया है।

बता दें कि  ब्लड-ब्रेन बैरियर TB की कई दवाओं को मस्तिष्क तक पहुँचने से रोककर दवाओं को बेअसर कर देता है। वैज्ञानिकों द्वारा दवाओं को मस्तिष्क  तक पहुंचाने की नै विधि TB का प्रभावी ढंग से इलाज कर सकती है।

क्षय रोग (टीबी) जो मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है, जिसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र क्षय रोग (Central Nervous System Tuberculosis: CNS-TB) कहा जाता है, टीबी के सबसे खतरनाक रूपों में से एक है।

CNS-TB के इलाज में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह है कि टीबी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं  ब्लड-ब्रेन बैरियर (BBB)  के रूप में ज्ञात सुरक्षात्मक बाधा की वजह से मस्तिष्क तक पहुंचने के लिए संघर्ष करती हैं।

यह बाधा कई दवाओं को मस्तिष्क में प्रवेश करने से रोकती है, जिससे उनकी प्रभावशीलता सीमित हो जाती है।

वैज्ञानिकों की टीम ने चिटोसन नैनो-एग्रीगेट्स (chitosan nano-aggregates) विकसित किए, जो कि चिटोसन से बने नैनोपार्टिकल्स के छोटे समूह हैं, जो  जैव-संगत (बायोकम्पैटिबल) और बायोडिग्रेडेबल सामग्री है। मस्तिष्क तक दवा पहुंचाने की नई तकनीक को नोज टू ब्रेन (N2B) नाम दिया गया है।  

ब्लड-ब्रेन बैरियर (BBB) ​​एक प्राकृतिक सुरक्षात्मक झिल्ली है जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को रक्त में विषाक्त पदार्थों और रोगजनकों से बचाता है। हालांकि, BBB,  CNS विकारों के इलाज को मुश्किल भी बनाती है क्योंकि अधिकांश रासायनिक दवाओं और बायोफार्मास्यूटिकल्स को मस्तिष्क में प्रवेश करने से रोक देती है।

 चिटोसन ग्लूकोसामाइन यूनिट से बना एक बायोसोर्स्ड पॉलिमर है। चिटोसन  बायोपॉलिमर में जीवाणुरोधी, एंटीफंगल, म्यूकोएडेसिव और जेलिंग गुण होते हैं।  

चिटोसन चिटिन के डीएसिटिलीकरण द्वारा प्राप्त किया जाता है, जो प्राकृतिक रूप से क्रस्टेशियंस (केकड़ा, लॉबस्टर और श्रिम्प), कीट क्यूटिकल्स और कुछ फंगस की कोशिका भित्तियों के एक्सोस्केलेटन (बाह्य आवरण) में होता है।

गैर-विषाक्तता, बायोडिग्रेडेबिलिटी और बायोकम्पैटिबिलिटी जैसे गुणों के कारण इसे ऊतक इंजीनियरिंग और ड्रग डिलीवरी के क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।

चिटोसन अपने म्यूकोएडेसिव गुणों के कारण नाक के म्यूकोसा से चिपक जाता है। यह नैनो-एग्रीगेट्स को अपनी जगह पर रहने में मदद करता है और दवा रिलीज के समय को बढ़ाता है।

इससे यह बीमारी के इलाज में अधिक कारगर सिद्ध होता है। चिटोसन न तो जल में घुलनशील है और न ही कार्बनिक सॉल्वैंट्स में।

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