चीता टास्क फोर्स का गठन

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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) और अन्य उपयुक्त निर्धारित क्षेत्रों में चीतों की निगरानी के लिए एक कार्य दल (Cheetah Task Force) का गठन किया है।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) चीता टास्क फोर्स के कामकाज को सुगम बनाएगा और सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। टास्क फोर्स दो साल की अवधि के लिए गठित किया गया है।

यह टास्क फोर्स एक उपसमिति नियुक्त कर सकती है जो उनके द्वारा तय समय पर उन क्षेत्रों का नियमित रूप से दौरा करेगी जिनमें इन चीतों को छोड़ा गया है।

टास्क फोर्स का गठन निम्नलिखित उद्देश्यों से किया गया है:

-चीता के स्वास्थ्य की समीक्षा, प्रगति और निगरानी के साथ-साथ एकांतवास और सॉफ्ट रिलीज बाड़ों का रख-रखाव करना।

-कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों के शिकार कौशल और अनुकूलन की निगरानी करना।

-चीता को एकांतवास से सॉफ्ट रिलीज बाड़ों और फिर संरक्षित घास के मैदानों व उसके बाद खुले वन क्षेत्र में छोड़ने की निगरानी करना।

-इको-टूरिज्म के लिए चीता संरक्षित वन क्षेत्र को खोलने और इस संबंध में नियम सुझाने का काम करना।

-कूनो राष्ट्रीय उद्यान और अन्य संरक्षित क्षेत्रों के सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन संबंधी बुनियादी ढांचे के विकास पर सुझाव और सलाह करना।

-चीता मित्रों और स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाने और क्षेत्र विशेष में चीतों के संरक्षण में उन्हें शामिल करने के लिए उनके साथ नियमित तौर पर संवाद करना।

चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाने के फायदे

नामीबिया से चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान ला कर छोड़ा जाना मूल चीता हैबिटैट और उनकी जैव विविधता के संरक्षण के लिए तैयार एक प्रोटोटाइप या मॉडल का हिस्सा है।

इससे जैव विविधता के क्षरण और तेजी से नुकसान को रोकने में मदद मिलेगी।

एक शीर्ष शिकारी जीव को वापस ला कर यहां पुनर्वास से ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन पुनः स्थापित होगा जिसका इकोसिस्टम के विभिन्न स्तरों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।

चीता के पुनर्वास से इनके संरक्षण की दिशा में व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। चीता एक ऐसा जीव है जो गति के मामले में भारतीय मृगों और गज़ेल को भी पीछे छोड़ देता है।

चीता को फिर से बसाकर न केवल इसके शिकार आधार (prey base ) को बचाने में सक्षम होंगे जिसमें से कुछ प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर हैं बल्कि घास के मैदानों की अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों और खुले वनों के इकोसिस्टम को भी बचाने में सक्षम होंगे। इनमें से कुछ विलुप्त होने के कगार पर हैं।

‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत भारत में पुनर्वास

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर को भारत से विलुप्त हो चुके जंगली चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़ा था।

नामीबिया से लाए गए इन चीतों को ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत भारत में पुनर्वास किया जा रहा है।

इन आठ चीतों में से पांच मादा और तीन नर हैं। यह बड़े मांसाहारी जंगली जानवरों के एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप स्थानांतरण की दुनिया की पहली परियोजना (world’s first inter-continental large wild carnivore translocation project) है।

चीता को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। जिन चीतों को छोड़ा गया है, वे नामीबिया के हैं और उन्हें इस साल की शुरुआत में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत भारत लाया गया है।

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