मोइदम्स: यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के लिए नामांकित
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि चराइदेव मोइदम्स (Charaideo Moidams) को सांस्कृतिक श्रेणी में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल दर्जा के लिए भारत की ओर से नामांकित किया गया है। उनके मुताबिक ‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन’ (UNESCO) के विश्व धरोहर स्थल के लिए देश के एकमात्र नामांकन के रूप में चुना है मोइदम्स-अहोम राजवंश का कब्रिस्तान है जो चराइदेव में स्थित है।
- पटकाई रेंज की तलहटी में चराइदेव पहली राजधानी और ताई अहोम का सबसे प्रतिष्ठित लैंडस्केप था।
- असम के पिरामिड शिवसागर शहर से 28 किमी दूर चराईदेव में है। मोइदम की तुलना प्राचीन चीन के शाही मकबरों से की गई है।
- चीन से माइग्रेटेड ताई-अहोम जनजातियों ने 12वीं से 18वीं सदी के बीच ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के विभिन्न हिस्सों में अपनी राजधानी स्थापित की। बरही जनजाति पर कब्जा करते हुए, चाउ-लंग सिउ-का-फा ने की पहली राजधानी स्थापित की।
- अहोम पटकाई पहाड़ियों की तलहटी में रहते थे और इसका नाम चे-राय-दोई (Che-rai-doi) या चे-ताम-दोई रखा, जिसका अर्थ उनकी भाषा में “पहाड़ के ऊपर एक चमकदार शहर” है। हालांकि यह जनजातीय कबीला एक शहर से दूसरे शहर में चला गया, लेकिन चे-राय-दोई या चराइदेव के लैंडस्केप ने अपनी स्थिति को सबसे पवित्र स्थान के रूप में बनाए रखा।
- वॉल्ट युक्त टीले वाली कब्र की उनकी अनूठी प्रणाली 600 वर्षों तक जारी रही। हालांकि बाद में कई ताई-अहोम बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गए, तो कई ने दाह संस्कार की हिंदू प्रणाली को अपना लिया।