CHACE-2 ने चन्द्रमा के बाह्यमंडल में आर्गन -40 के वैश्विक वितरण का अपनी तरह का पहला अवलोकन किया
चंद्रयान -2 मिशन के मास स्पेक्ट्रोमीटर, “चंद्रा एटमोस्फियरिक कम्पोजीशन एक्स्प्लोरर-2” (CHACE-2: Chandra’s Atmospheric Composition Explorer-2 (CHACE-2) ने चन्द्रमा के बाह्यमंडल में आर्गन -40 के वैश्विक वितरण का अपनी तरह का पहला अवलोकन किया है। ये अवलोकन चंद्र एक्सोस्फेरिक घटकों की गतिशीलता के साथ-साथ चंद्र सतह के नीचे पहले कुछ दसियों मीटर में रेडियोजेनिक गतिविधियों पर अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
- एक्सोस्फीयर (बाह्यमंडल) ‘एक खगोलीय पिंड के ऊपरी वायुमंडल का सबसे बाहरी क्षेत्र है जहां घटक परमाणु और अणु शायद ही कभी एक दूसरे से टकराते हैं और अंतरिक्ष में भाग सकते हैं।
- नोबल गैसें चन्द्रमा की सतह और उसके बाह्यमंडल के संपर्क की प्रक्रियाओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में काम करती हैं, और आर्गन -40 (Ar-40) नोबल गैस चंद्र एक्सोस्फेरिक घटकों की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए एक ऐसा महत्वपूर्ण ट्रेसर (माध्यम) परमाणु है।
- Ar-40 चन्द्रमा के सतह के नीचे मौजूद पोटेशियम -40 (K-40) के रेडियोधर्मी विघटन से उत्पन्न होता है।
- CHACE-2 अवलोकन चंद्रमा के भूमध्यरेखीय और मध्य अक्षांश क्षेत्रों को कवर करते हुए Ar-40 की दैनिक और स्थानिक भिन्नता प्रदान करते हैं।
- चंद्रयान-2 मिशन के इस परिणाम की विशिष्टता इस तथ्य में निहित है कि हालांकि अपोलो-17 और LADEE मिशनों ने चंद्र बाह्यमंडल में Ar-40 की उपस्थिति का पता लगाया है, लेकिन वे चंद्रमा के निकट-भूमध्यरेखीय क्षेत्र तक ही सीमित थे।
चंद्रयान-2 मिशन
- चंद्रयान-2 एक अत्यंत जटिल मिशन था। इस मिशन में चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग और रोविंग जैसी जटिल क्षमताओं का प्रदर्शन शामिल था।
- इस मिशन में आर्बिटर, लैंडर और रोवर की त्रि-स्तरीय भूमिका थी। इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा के लिए 22 जुलाई 2019 को इस अभियान का आगाज किया था।
- हालांकि, 07 सितंबर 2019 लैंडर विक्रम ने चंद्रमा पर हार्ड लैंडिंग की, और इसी के साथ चंद्रमा की सतह पर उतरने के भारत के पहले प्रयास पर पानी भर गया। इसी के साथ चांद की सतह को छूने की भारतीय हसरतें भी चकनाचूर हो गईं।