केंद्र और मणिपुर ने UNLF के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये

मणिपुर के सबसे पुराने मैतेई  सशस्त्र विद्रोही समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) ने  29 नवंबर 2023 को नई दिल्ली में केंद्र और मणिपुर सरकार के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए।  

यह ग्रुप हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमत हो गया है। UNLF ने यह निर्णय  केंद्र सरकार की ओर से इस समूह पर कई साल पहले लगे प्रतिबन्ध को पांच साल बढ़ाने के बाद लिया।  यह उन आठ मैतेई चरमपंथी संगठनों में से एक है जिन्हें गृह मंत्रालय ने आतंकवाद-रोधी कानून, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA ) के तहत गैरकानूनी संघ घोषित किया है।

केंद्र सरकार ने 13 नवंबर 2023 को मणिपुर के UNLF सहित कुल पांच उग्रवादी ग्रुप्स पर लगे प्रतिबन्ध को पांच साल बढ़ा दिया था। साथ ही पांच अन्य उग्रवादी ग्रुप्स पर भी पांच साल का बैन लगाया था। ये विद्रोही समूह मणिपुर में एक्टिव हैं।  

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने UAPA के तहत एक ट्रिब्यूनल बनाया है। ट्रिब्यूनल यह तय करेगा कि मणिपुर के इन उग्रवादी समूह पर प्रतिबन्ध  लगाने का पर्याप्त कारण है या नहीं।

UNLF के सभी सदस्य अगले तीन साल तक कैंपों में रहेगी। गृह मंत्रालय की पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवादियों के आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास की संशोधित योजना 2018 के तहत प्रत्येक सदस्य को 4 लाख रुपये का एकमुश्त वित्तीय अनुदान सहित लाभ दिया जाएगा।  

यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF)  को यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ मणिपुर के तौर भी जाना जाता है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र में 59 सालों से सक्रिय इस संगठन का मूल उद्देश्य एक संप्रभु और समाजवादी राज्य की स्थापना था। इस आतंकी संगठन की स्थापना 24 नवंबर, 1964 को हुई थी। 

1972 में मणिपुर को पूर्ण राज्य का मिला। मणिपुर के पूर्ण राज्य बनने से पहले ही मैतेई समुदाय के ऐसे लोग भारत में विलय से नाराज थे। उन्होंने UNLF का गठन किया था।

इसकी गतिविधियां बढ़ने पर 1980 में केंद्र ने पूरे मणिपुर को अशांत क्षेत्र लागू कर दिया था और राज्य में चल रहे विद्रोही आंदोलनों को रोकने के लिए आफस्पा एक्ट लगा दिया था।  

error: Content is protected !!