पश्चिमी घाट के 56,825 वर्ग किमी को इकोलॉजिकली सेंसिटिव एरिया घोषित करने के लिए फिर से ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने केरल के भूस्खलन से तबाह हुए वायनाड गांवों सहित छह राज्यों में पश्चिमी घाट के 56,825.7 वर्ग किमी को इकोलॉजिकली सेंसिटिव एरिया (ecologically sensitive area: ESA) घोषित करने के लिए ड्राफ्ट नोटिफिकेशन का छठा संस्करण  2 अगस्त 2024 को जारी किया।

ये छह राज्य हैं; गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु। 6 जुलाई 2022 को अधिसूचित पिछले ड्राफ्ट के समाप्त होने के बाद अधिसूचना फिर से जारी की गई है।

पिछली ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर केंद्र और ये छह राज्य पारिस्थितिक हॉटस्पॉट में सीमांकित किए जाने वाले ESA की सीमा पर आम सहमति पर नहीं पहुंच पाए थे। इन राज्यों में प्रस्तावित ESA गुजरात (449 वर्ग किमी), महाराष्ट्र (17,340 वर्ग किमी), गोवा (1,461 वर्ग किमी), कर्नाटक (20,668 वर्ग किमी), तमिलनाडु (6,914 वर्ग किमी) और केरल (9,993.7 वर्ग किमी) में  फैले हैं।

पश्चिमी घाट में ESA घोषित करने की ड्राफ्ट अधिसूचना पहली बार मार्च 2014 में जारी की गई थी, जो उच्च स्तरीय कार्य समूह (HLWG) के सुझावों पर आधारित थी, जिसका गठन केंद्र ने 2012 में किया था। अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाले HLWG पैनल ने वरिष्ठ पारिस्थितिकीविद् माधव गाडगिल के नेतृत्व वाली ESA पर विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में सुझावों की समीक्षा की।

अप्रैल 2022 में, केंद्र ने इन छह राज्य सरकारों के सुझावों की फिर से जांच करने के लिए एक और पैनल का गठन किया।

संरक्षित क्षेत्रों यानी राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास इको-सेंसिटिव जोन (Eco-sensitive Zone: ESZ) की घोषणा राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर और 9 फरवरी, 2011 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी ‘इको सेंसिटिव जोन’ की घोषणा के दिशानिर्देशों के अनुरूप की जाती है।

ESZ घोषित करने का उद्देश्य विशिष्ट पारिस्थितिकी तंत्र, जैसे संरक्षित क्षेत्र या अन्य प्राकृतिक स्थलों के लिए किसी प्रकार का “शॉक एब्जॉर्बर” बनाना है और इसका उद्देश्य उच्च संरक्षण वाले क्षेत्रों से कम संरक्षण वाले क्षेत्रों में ट्रांजिशन क्षेत्र के रूप में कार्य करना है।

राज्य सरकार के प्रस्तावों और सिफारिशों के आधार पर, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत ESZ को अधिसूचित करता है।

ESZ प्रतिबंधात्मक प्रकृति की बजाय रेगुलेटरी प्रकृति के होते हैं। इको-सेंसिटिव जोन की घोषणा से ESZ के भीतर रहने वाले स्थानीय समुदाय के कृषि गतिविधियां, घर निर्माण जैसे व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध नहीं लगता है।

ESZ अधिसूचना की धारा ‘3’ संबंधित राज्य सरकार द्वारा जोनल मास्टर प्लान (ZMP) तैयार करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करती है और संबंधित ESZ की वहन क्षमता अध्ययन के आधार पर क्षेत्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा बनने वाले पर्यटन मास्टर प्लान की तैयारी को अनिवार्य बनाती है।

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