देश में ग्राम न्यायालयों की स्थापना की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई
ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 के अनुसार देश में ग्राम न्यायालयों (Gram Nyayalayas) की स्थापना और प्रभावी करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका में, सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और उनके उच्च न्यायालयों को ग्राम न्यायालयों की स्थापना और कामकाज पर नए हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि नागरिकों को उनके घर पर न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 लागू किया है। इसमें मध्यवर्ती पंचायत स्तर (यानी ब्लॉक लेवल) पर ग्राम न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है।
राज्य सरकारें संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
ग्राम न्यायालयों को गांव स्तर पर छोटे-मोटे विवादों को निपटाने के लिए सिविल और क्रिमिनल, दोनों क्षेत्राधिकार के साथ प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत माना जाता है।
ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 की धारा 3 (1) के अनुसार राज्य सरकारें संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए जिम्मेदार हैं।
हालांकि, यह अधिनियम ग्राम न्यायालयों की स्थापना को अनिवार्य नहीं बनाता है।
ग्राम न्यायालय खोलने के लिए केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करके प्रोत्साहित करती रही है।