नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कावेरी बेसिन में ग्रीन कवर में भारी कमी पर राज्य सरकारों को नोटिस भेजा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) की एक रिपोर्ट के आधार पर कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल सरकारों को नोटिस भेजा है, जिसमें पिछले पांच दशकों में कावेरी बेसिन (Cauvery basin) में ग्रीन कवर में भारी कमी को उजागर किया गया है।

IISc की रिपोर्ट के अनुसार, 1965 और 2016 के बीच कावेरी बेसिन में 12,850 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) हरित आवरण यानी ग्रीन कवर का भारी नुकसान हुआ है।

NGT ने कावेरी बेसिन के 73.5 प्रतिशत हिस्से को कवर करने वाली व्यापक कृषि और बागवानी गतिविधियों पर गहरी चिंता व्यक्त की है। केवल 18 प्रतिशत क्षेत्र में वन क्षेत्र शेष है और घने जंगल केवल 13 प्रतिशत क्षेत्र तक सीमित हैं।

यह चिंताजनक स्थिति कावेरी वैली के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों तक फैली हुई है। बांदीपुर नेशनल पार्क (Bandipur National Park) में वन क्षेत्र में 50 वर्षों में 15.19 प्रतिशत की कमी आई है, जिसका मुख्य कारण विकास गतिविधियों और जंगल की आग है।

नागरहोल नेशनल पार्क (Nagarhole National Park) में ह्यूमन एक्टिविटीज और बागवानी  गतिविधियों में वृद्धि के कारण वन क्षेत्र में 11 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

इसी तरह, बिलिगिरी रंगनाथस्वामी मंदिर वन्यजीव अभयारण्य (Biligiri Ranganathaswamy Temple Wildlife Sanctuary) में वन क्षेत्र में गिरावट देखी गई है, साथ ही वन अतिक्रमण के बारे में चिंताएं जताई गई हैं।

जनसंख्या वृद्धि और अतिक्रमण के कारण कावेरी वन्यजीव अभयारण्य के वन क्षेत्रों पर खतरा मंडरा रहा है।

रिपोर्ट में पाया गया कि बन्नेरघट्टा नेशनल पार्क (Bannerghatta National Park) में घने वन क्षेत्र में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है, जो 1973 में 50.40 प्रतिशत से बढ़कर 2016 में 28 प्रतिशत हो गई है।  

कावेरी बेसिन (Cauvery basin) तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल राज्यों तथा  केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में 81,155 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 2.7% है।

यह पश्चिम में पश्चिमी घाट, पूर्व और दक्षिण में पूर्वी घाट और उत्तर में इसे कृष्णा बेसिन और पेन्नार बेसिन से अलग करने वाली पर्वतमालाओं से घिरा है।

कावेरी नदी दक्षिण प्रायद्वीप की प्रमुख नदियों में से एक है। यह कर्नाटक के कोडागू जिले के चेरंगला गांव के पास ब्रह्मगिरि पर्वत रेंज पर तालाकावेरी में 1,341 मीटर की ऊंचाई से निकलती है।

बाईं ओर से जुड़ने वाली इसकी महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ हरंगी, हेमावती, शिम्शा और अर्कावती हैं जबकि लक्ष्मणतीर्थ, काबिनी, सुवर्णावती, भवानी, नोयिल और अमरावती दाईं ओर से मिलती हैं

यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

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