केप टाउन कन्वेंशन और प्रोटोकॉल तथा इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016

विमान पर पट्टे पर देने वाली कंपनियों (aircraft lessors) को एक बड़ी राहत देते हुए, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने अधिसूचित किया है कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 के तहत बकाया की वसूली से कॉर्पोरेट कर्जदार को दी जाने वाली सुरक्षा में विमान, हेलीकॉप्टर और इसके इंजन शामिल नहीं होंगे।

प्रमुख तथ्य

सरकार की अधिसूचना के अनुसार, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड की धारा 14 की उप-धारा (1) के प्रावधान विमान, विमान इंजन, एयरफ्रेम और हेलीकाप्टर से संबंधित केप टाउन कन्वेंशन और प्रोटोकॉल के तहत लेनदेन, व्यवस्था या समझौतों पर लागू नहीं होंगे।

यह कदम गो फर्स्ट की दिवाला समाधान कार्यवाही को प्रभावित कर सकता है, जिसके तहत नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने इसे पट्टेदारों और कर्जदाताओं से बचाने के लिए मई 2023 में एक पूर्ण मोरेटोरियम प्रदान किया था और DGCA को किसी भी पट्टेदारों द्वारा विमान के पंजीकरण रद्द करने के लिए किसी भी आवेदन को स्वीकार करने से रोक दिया था।

इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड 2016 की धारा 14 (1) किसी कार्यवाही से मोरेटोरियम (अधिस्थगन) से संबंधित है, जिसके तहत एक अदालत इन्सॉल्वेंसी या बैंकरप्सी से गुजर रहे कॉर्पोरेट कर्जदार कम्पनी की रक्षा के लिए मोरेटोरियमा का आदेश दे सकती है, जिसमें कर्जदार को दी गयी किसी भी संपत्ति की मालिक या पट्टेदार द्वारा वसूली या जब्ती भी शामिल है।

केप टाउन कन्वेंशन (CTC)

भारत सरकार की अधिसूचना केप टाउन कन्वेंशन (Cape Town Convention: CTC) के अनुरूप है।

भारत “कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल इंटेरेस्ट्स इन द मोबाइल इक्विपमेंट एंड रिलेटेड प्रोटोकॉल (Convention on International Interests in Mobile Equipment and the related protocol) का हस्ताक्षरकर्ता देश है। इसे आमतौर पर केप टाउन कन्वेंशन (सीटीसी) के रूप में जाना जाता है, जिसके अनुसार पट्टेदार अपने “अपरिवर्तनीय डीरजिस्ट्रेशन और निर्यात अनुरोध प्राधिकरण (Irrevocable Deregistration and Export Request Authorizations : IDERAs)” का उपयोग करके एयरलाइन की सहमति के बिना डीरजिस्ट्रेशन और विमान के निर्यात की मांग कर सकते हैं।

हालाँकि, इसे अभी तक भारत के कानूनी फ्रेमवर्क में पूरी तरह से शामिल नहीं किया गया है, लेकिन नयी अधिसूचना के साथ CTC प्रावधानों को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है।

सरकार की अधिसूचना के बाद, IBC के तहत परिसंपत्तियों के ऑटोमैटिक मोरेटोरियम विमान, विमान इंजन, एयरफ्रेम और हेलीकॉप्टर पर लागू नहीं होंगे।

मामला क्या था?

गो फ़र्स्ट के बेड़े में 54 विमान थे, और लगभग सभी विमानों के पट्टेदारों ( lessors) ने लंबित बकाया राशि के लिए अपनी संपत्ति का पंजीकरण रद्द करने की मांग की थी।

NCLT के मई में टोटल मोरेटोरियम देने के आदेश के बाद, पट्टादाताओं ने भी अपने विमान कब्जे में लेने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

उन्होंने तर्क दिया कि यह मोरेटोरियम 2001 के केप टाउन कन्वेंशन और प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, जिस पर भारत भी हस्ताक्षरकर्ता है।

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