National Quantum Mission: केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को मंजूरी दी
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (National Quantum Mission: NQM) को 2023-24 से 2030-31 तक की अवधि के लिए कुल 6003.65 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दे दी।
इस मिशन का लक्ष्य क्वांटम प्रौद्योगिकी (QT) के क्षेत्र में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास का शुरू करना एवं उसे विकसित करना व आगे बढ़ाना और इससे संबंधित एक जीवंत एवं रचनात्मक इकोसिस्टम तैयार करना है।
यह मिशन क्वांटम प्रौद्योगिकी पर आधारित आर्थिक विकास को गति देगा, देश में एक अनुकूल इकोसिस्टम विकसित करेगा और क्वांटम प्रौद्योगिकियों एवं अनुप्रयोगों (Quantum Technologies & Applications: QTA) के विकास के क्षेत्र में भारत को एक अग्रणी देश बनाएगा।
यह नया मिशन सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों में आठ वर्षों में 50-1000 भौतिक क्यूबिट (qubits) की क्षमता वाला मध्यवर्ती स्तर का क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने का इरादा रखता है।
राष्ट्रीय क्वांटम मिशन: उद्देश्य
भारत के भीतर 2000 किलोमीटर की सीमा में ग्राउंड स्टेशनों के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार, अन्य देशों के साथ लंबी दूरी का सुरक्षित क्वांटम संचार, 2000 किलोमीटर से अधिक के दायरे में अंतर-शहरी (इंटरसिटी) ‘क्वांटम की’ वितरण (quantum key distribution) के साथ-साथ क्वांटम मेमोरी से लैस मल्टी-नोड क्वांटम नेटवर्क भी इस मिशन के अन्य अहम पहलू हैं।
यह मिशन सटीक समय, संचार और नेविगेशन के लिए परमाणु प्रणालियों और परमाणु घड़ियों में उच्च संवेदनशीलता से लैस मैग्नेटोमीटर विकसित करने में मदद करेगा।
यह क्वांटम उपकरणों के निर्माण के लिए सुपरकंडक्टर्स, नवीन सेमीकंडक्टर संरचनाओं और सांस्थितिक (टोपोलॉजिकल) सामग्रियों आदि जैसी क्वांटम सामग्रियों के डिजाइन और संश्लेषण में भी सहायता करेगा।
इसके तहत क्वांटम संचार, संवेदन और मौसम विज्ञान संबंधी अनुप्रयोगों के लिए एकल फोटॉन स्रोत/डिटेक्टर और उलझे हुए फोटॉन स्रोत भी विकसित किए जायेंगे।
शीर्ष शैक्षणिक और राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास संस्थानों में चार विषयगत केन्द्र (Four Thematic Hubs : T-Hubs) स्थापित किए जायेंगे: क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम सेंसिंग एवं मेट्रोलॉजी और क्वांटम सामग्री एवं उपकरण। ये केन्द्र (हब) मूल एवं एप्लाइड रिसर्च के माध्यम से नए ज्ञान के सृजन पर ध्यान केन्द्रित करेंगे और साथ ही उन क्षेत्रों में भी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देंगे जिसकी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी जाएगी।