ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन संरक्षण कार्यक्रम के लिए वित्तपोषण को मंजूरी

प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) ने 2024-2029 की अवधि के लिए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard: GIB) और लेसर फ्लोरिकन (Lesser Florican) के संरक्षण कार्यक्रम के अगले चरण के लिए 56 करोड़ रुपये के वित्तपोषण को मंजूरी दी है।

अगले चरण के लिए प्रस्ताव भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा तैयार किया गया है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन, दोनों ही IUCN की लाल सूची में क्रिटिकली एंडेंजर्ड प्रजातियाँ हैं

केवल 140 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और 1,000 से कम लेसर फ्लोरिकन जीवित बचे हैं।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक बड़ा पक्षी है जो केवल भारत में पाया जाता है। इसे घास के मैदानों में रहने वाले एक प्रमुख संकेतक प्रजाति के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि इसका जीवित रहना घास के मैदानों के हैबिटेट के स्वास्थ्य का भी संकेत देता है।

अकेले राजस्थान के रेगिस्तान और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में 120 से अधिक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पाए जाते हैं; बाकी गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य रेंज राज्यों में जंगलों में हैं।

राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में बढ़ते कृषि भूमि के कारण उनके रहने वाले जगह का नुकसान; कुत्तों, मॉनिटर छिपकलियों और मनुष्यों जैसे अन्य शिकारियों द्वारा अंडों का विनाश; ओवरहेड बिजली लाइनों के कारण मृत्यु के कारण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या में कमी आई है।

लेसर फ्लोरिकन प्रजाति भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाती है यानी यहां की एंडेमिक प्रजाति है और यह दुनिया की सबसे छोटी बस्टर्ड प्रजाति है।

आमतौर पर, लेसर फ्लोरिकन को पर्याप्त वर्षा, पर्याप्त भूमि आवरण और मध्यम रूप से लंबी घास वाले घास के मैदानों में ब्रीडिंग के लिए जाना जाता है।

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