ब्लू कार्बन

राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के अनुसार ब्लू कार्बन दुनिया के महासागर और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा ग्रहण किए गए कार्बन के लिए एक टर्म है। इंसानी गतिविधियों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है जिसमें वायुमंडलीय कार्बन होता है। ये गैसें दुनिया की जलवायु को बदल रही हैं।

हमारे महासागर और तट इस कार्बन को अलग करके (या अवशोषित करके) हमारे वायुमंडल पर ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव को कम करने का एक प्राकृतिक तरीका प्रदान करते हैं।

दुनिया के मैंग्रोव, समुद्री घास और खारे जल के दलदली क्षेत्र मिलकर ‘ब्लू  कार्बन पारिस्थितिक तंत्र’ (blue carbon ecosystems) का निर्माण करते हैं। ये प्रकृति के सबसे प्रभावी कार्बन सिंक हैं।

वर्तमान अध्ययनों से पता चलता है कि मैंग्रोव और तटीय आर्द्रभूमियाँ प्रति वर्ष कार्बन को विकसित उष्णकटिबंधीय वनों की तुलना में 10 गुना अधिक दर से अवशोषित करती हैं।

ये उष्णकटिबंधीय वनों के तुलनीय क्षेत्र की तुलना में तीन से पाँच गुना अधिक कार्बन संग्रहीत करते हैं। हाल की एक स्टडी के अनुसार अकेले मैंग्रोव प्रति हेक्टेयर 1,000 टन से अधिक कार्बन संग्रहीत करने की क्षमता रखते हैं।

मैंग्रोव केवल कार्बन स्पंज नहीं हैं। उनकी जड़ें मृदा अपरदन को रोकने और मृदा को स्थिर रखने में मदद करती हैं, जबकि समुद्री जीवन के लिए आश्रय भी प्रदान करती हैं, जैसा कि अगस्त 2024 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की रिपोर्ट “सरजिंग सीज” में बताया गया है।

(स्रोत: डाउन टू अर्थ & NOA)

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