संसद ने “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यावधि) विधेयक, 2023” पारित किया
लोकसभा ने 21 दिसंबर 2023 को “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यावधि) विधेयक, 2023 (Chief Election Commissioner and Other Election Commissioners (Appointment, Conditions of Service and Term of Office) Bill, 2023) पारित कर दिया।
यह विधेयक 12 दिसंबर को राज्यसभा ने पारित कर दिया था। इस विधेयक के जरिए भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित प्रावधान करता है।
यह विधेयक कानून बनने के बाद चुनाव आयोग (चुनाव आयुक्तों की सेवा की शर्तें और व्यवसाय का संचालन) अधिनियम, 1991 की जगह लेगा।
संविधान के अनुच्छेद 324 में कहा गया है कि भारत के चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और उतनी संख्या में चुनाव आयुक्त (EC) शामिल होंगे, जितना राष्ट्रपति तय करेंगे।
विधेयक के मुख्य प्रावधान
चयन समिति की सिफारिश: पारित विधेयक के अनुसार राष्ट्रपति चयन समिति की सिफारिश के आधार पर CEC और अन्य EC की नियुक्ति करेंगे।
चयन समिति में प्रधान मंत्री, एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री तथा विपक्ष के नेता या लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता शामिल हैं।
समिति में सदस्य पूरे नहीं होने की स्थिति में में भी इस समिति की सिफ़ारिशें मान्य रहेंगी।
सर्च समिति: कानून मंत्री की अध्यक्षता वाली एक सर्च समिति CEC और EC के पद पर नियुक्त होने वाले पात्र अधिकारियों का पैनल तैयार करेगी। सर्च समिति द्वारा तैयार नामों के पैनल पर चयन समिति विचार करेगी।
पात्रता: CEC और EC के पद पर नियुक्त होने वाले पात्र अधिकारी को केंद्र सरकार के सचिव के समकक्ष पद पर होना आवश्यक होगा।
वेतन और भत्ते: CEC और EC के वेतन और भत्ते सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर होंगे।
अदालती मामलों से सुरक्षा : संशोधित विधेयक CEC और EC को उनके आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते समय अदालती मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है।
पद से हटाना और त्यागपत्र: CEC को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान तरीके और समान आधारों पर पद से हटाया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि CEC की सिफारिश के अलावा किसी अन्य विधि से EC को नहीं हटाया जाएगा।
कार्यकाल: CEC और अन्य EC छह वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहेंगे।