नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह, एम.एस. स्वामीनाथन भारत रत्न से सम्मानित
पूर्व प्रधानमंत्रियों चौधरी चरण सिंह और पी.वी. नरसिम्हा राव , साथ ही भारत में हरित क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।
इस वर्ष (2024) की शुरुआत में ही दो भारत रत्न सम्मान के विजेताओं की घोषणा की जा चुकी है। ये हैं; बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और पूर्व उपप्रधानमंत्री एल.के. आडवाणी।
इस वर्ष पांच भारत रत्न सम्मान देने की घोषणा की जा चुकी है जो कि 1999 में घोषित चार से एक अधिक है। किसी एक वर्ष में घोषित भारत रत्नों की यह सबसे अधिक संख्या है।
इस वर्ष घोषित पांच पुरस्कारों में से चार व्यक्तियों को मरणोपरांत दिया जा रहा है।
चौधरी चरण सिंह
उनका जन्म 23 दिसंबर, 1903 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ के पास नूरपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्हें किसान नेता माना जाता है।
चौधरी चरण सिंह ने 3 अप्रैल, 1967 को गठबंधन संयुक्त विधायक दल (svd) सरकार का नेतृत्व करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
वह इंदिरा गांधी के समर्थन से 28 जुलाई 1979 को भारत के प्रधानमंत्री बने। लेकिन, महज 23 दिन बाद ही इंदिरा गांधी ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। वह देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने संसद में विश्वास मत का सामना नहीं किया। विश्वास मत से एक दिन पहले उन्होंने पद से त्यागपत्र दे दिया।
चरण सिंह 14 जनवरी, 1980 तक इस पद पर बने रहे, जब इंदिरा गांधी नए आम चुनावों के बाद प्रधानमंत्री के रूप में लौटीं। वह वीपी सिंह के साथ उत्तर प्रदेश के केवल दो मुख्यमंत्रियों में से एक हैं, जो प्रधानमंत्री बनें।
नरसिम्हा राव
नरसिम्हा राव 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक देश के प्रधानमंत्री रहे।
उनका जन्म 28 जून, 1921 को करीमनगर (तेलंगाना) में हुआ था। उन्हें भारत में उदारीकरण और आर्थिक सुधारों का वास्तुकार माना जाता है।
एम.एस. स्वामीनाथन के बारे में
भारत रत्न से सम्मानित होने से पहले, उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण पुरस्कारों के साथ-साथ एच के फिरोदिया पुरस्कार, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार और इंदिरा गांधी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
उनका जन्म 7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम, मद्रास प्रेसीडेंसी में हुआ था।
उन्होंने भारत में हरित क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वामीनाथन को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक और भारत सरकार के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था।
उन्हें 1982 में फिलीपींस में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) का पहला एशियाई महानिदेशक बनाया गया, जहां वे 1988 तक रहे।
1984 में, वह अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) और विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बने।
उन्हें 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और पुरस्कार राशि का उपयोग एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना के लिए किया गया था।
वह 2004 में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष थे।
उन्हें पूर्व (दिवंगत) राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा राज्यसभा के लिए नामांकित किया गया था, जहां उन्होंने 2007 से 2013 तक सेवा की।