Gravitational lensing: खगोलविदों को मिला “आइंस्टीन क्रॉस” का दुर्लभ उदाहरण
हाल में खगोलविदों ने ब्रह्मांड की सुदूर गहराई से प्रकाश को विभाजित करने और उसे बढ़ाने वाले “आइंस्टीन क्रॉस” (Einstein Cross) का एक आश्चर्यजनक, दुर्लभ उदाहरण खोजा है।
इसमें पृथ्वी से लगभग 6 अरब प्रकाश-वर्ष दूर स्थित विशाल अण्डाकार आकाशगंगा अपने से पीछे स्थित और हमारे ग्रह से लगभग 11 अरब प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बैकग्राउंड आकाशगंगा से आने वाले प्रकाश की एक उज्ज्वल किरण को विकृत और चतुष्कोणित कर देती है यानी चार भागों में विभाजित कर देता है और क्रॉस बना देता है।
ग्रेविटेशनल लेंसिंग (Gravitational lensing)
ग्रेविटेशनल लेंसिंग (Gravitational lensing) खगोल विज्ञान के महान आश्चर्यों में से एक है। यह प्रकार का प्राकृतिक लेंस जो सुदूर के ब्रह्मांड को बड़ा कर देता है।
ग्रेविटेशनल लेंस तब घटित हो सकता है जब आकाशगंगाओं के समूह की तरह का कोई विशाल पिंड एक गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र बनाती है जो अपने से दूर स्थित आकाशगंगाओं या क्वासर से आने वाले प्रकाश को विकृत कर उसे और बढ़ाती है।
प्रकाश के स्रोत वाला पिंड ग्रेविटेशनल लेंस वाले विशाल पिंड से पीछे लेकिन एक ही रेखा में होता है। इसका प्रभाव एक विशाल मैग्नीफाइंग ग्लास से देखने जैसा है। यह शोधकर्ताओं को वर्तमान तकनीक और दूरबीनों से देखी जाने वाली बहुत दूर की प्रारंभिक आकाशगंगाओं के बारे में स्टडी करने का अवसर देता है।
कभी-कभी एक लेंसिंग प्रणाली तथाकथित “आइंस्टीन क्रॉस” का आकार ले लेती है। वे स्पेस और टाइम में सुदूर की वस्तुओं का अध्ययन करने के दुर्लभ और आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी तरीके हैं।
आइंस्टीन का सामान्य सापेक्षता का सिद्धांत बताता है कि कैसे विशाल वस्तुएं ब्रह्मांड के ताने-बाने को मोड़ती हैं, जिसे स्पेस-टाइम कहा जाता है।
गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग आइंस्टीन के सिद्धांत के व्यवहार का एक नाटकीय और अवलोकन योग्य उदाहरण है। गुरुत्वाकर्षण लेंस प्रभाव का एक महत्वपूर्ण उदाहरण आइंस्टीन रिंग (Einstein ring) परिघटना है।