सन्नति और कनगनहल्ली
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में कनगनहल्ली/Kanaganahalli (सन्नति/Sannati स्थल का हिस्सा) के संरक्षण के लिए एक 3.5 करोड़ रूपये की योजना लेकर आया है। भीमा नदी के तट पर स्थित यह प्राचीन बौद्ध स्थल एएसआई द्वारा 1994 और 2001 के बीच खुदाई के माध्यम से सामने आया, जो प्राचीन है।
सन्नति और कनगनहल्ली के बारे में
सन्नति और कनगनहल्ली (Sannati and Kanaganahalli) 1986 तक भीमा नदी के तट पर छोटे और साधारण गाँव थे। परन्तु जब सन्नति में चंद्रलाम्बा मंदिर परिसर में काली मंदिर ढह गया तब मलबे को साफ करने की प्रक्रिया में, अशोक के एक शिलालेख की खोज की गयी जिसने इन गांवों को विश्व मानचित्र पर ला दिया।
इस खोज ने मौर्य सम्राट अशोक और बौद्ध धर्म के प्रारंभिक वर्षों के बारे में ऐतिहासिक शोध के नए रास्ते खोले।
इसने सन्नति और निकटवर्ती कनगनहल्ली में ASIको उत्खनन के लिए प्रेरित किया और पूरे भारत और उसके बाहर के इतिहासकारों को आकर्षित किया।
कनगनहल्ली उत्खनन ने कई चमत्कार सामने लाये।
स्थानीय ग्रामीणों की नज़र में जो एक ‘छोटा कुआँ’ था वह वास्तव में शानदार महा स्तूप निकला, जिसे शिलालेखों में अधोलोक महा चैत्य (Adholoka Maha Chaitya) के रूप में जाना जाता है।
जहां स्तूप को अपने समय का सबसे बड़ा स्तूप माना जाता है, वहीं शैल आकृति मौर्य सम्राट की एकमात्र जीवित छवि मानी जाता है, जिस पर ब्राह्मी में ‘रय अशोको’ (Raya Asoko) उत्कीर्ण था।
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