ASI संरक्षित 486 पुरावशेषों (antiquities) के गुम होने की सूचना है
हाल में इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार स्वतंत्रता के बाद से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित और अनुरक्षित 3,696 स्मारकों में से 486 पुरावशेषों (antiquities) के गुम होने की सूचना है।
ASI सूची के अनुसार, 486 पुरावशेषों में से 322 पुरावशेष वर्ष 1976 के बाद से गुम है। यह वर्ष है जब “पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972” (Antiquities and Art Treasure Act of 1972: AATA) को लागू किया था।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि ASI द्वारा संरक्षित स्मारक और स्थल देश भर में पुरातात्विक स्थलों और स्मारकों की कुल संख्या का “लघु प्रतिशत” है। ऐसे में गुम पुरावशेषों की संख्या अधिक हो सकती है।
पुरावशेषों पर कानूनी प्रावधान
भारत में संघ सूची की मद-67, राज्य सूची की मद-12 तथा संविधान की समवर्ती सूची की मद-40 देश की विरासत से संबंधित है।
1 अप्रैल, 1976 से प्रभावी पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 के अनुसार पुरावशेषों (antiquities) में शामिल हैं: 1. कोई भी सिक्के, मूर्तिकला, पेंटिंग, पुरालेख या कला या शिल्प कौशल के अन्य कार्य; 2. किसी इमारत या गुफा से अलग कोई आर्टिकल, ऑब्जेक्ट या थिंग; 3. बीते युगों में विज्ञान, कला, शिल्प, साहित्य, धर्म, रीति-रिवाज, नैतिकता या राजनीति का उदाहरण देने वाला कोई भी आर्टिकल, ऑब्जेक्ट या थिंग; 4. कोई भी आर्टिकल, ऑब्जेक्ट या ऐतिहासिक रुचि की वस्तु जो “कम से कम 100 वर्षों से अस्तित्व में है।
पांडुलिपि, रिकॉर्ड या अन्य दस्तावेज जो वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक या सौंदर्यवादी मूल्य का है” के लिए, यह अवधि न्यूनतम 75 वर्ष है।
“सांस्कृतिक एसेट के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने के साधनों पर यूनेस्को 1970 कन्वेंशन” (UNESCO 1970 Convention on the Means of Prohibiting and Preventing the Illicit Import, Export and Transfer of Ownership of Cultural Property) ने “सांस्कृतिक सम्पदा” (cultural property) को “पुरातत्व, प्रागितिहास, इतिहास, साहित्य, कला या विज्ञान के लिए महत्व” रखने वाले देशों द्वारा निर्दिष्ट संपत्ति के रूप में परिभाषित किया है।
राष्ट्रीय स्मारक और पुरावशेष मिशन ने अब तक अवैध गतिविधियों पर “प्रभावी जांच” के लिए 16.70 लाख पुरावशेषों में से 3.52 लाख पुरावशेषों को पंजीकृत किया है।
पुरावशेषों को भारत लाने के लिए उपाय
जो पुरावशेष भारत से ले जाए गए हैं, उन्हें लाने के तीन तरीके मौजूद हैं: स्वतंत्रता पूर्व भारत से बाहर ले जाए गए पुरावशेष और आजादी के बाद से मार्च 1976 तक यानी AATA के लागू होने से पहले तक बाहर ले जाए गए पुरावशेष को प्राप्त करने के लिए द्विपक्षीय रूप से या अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाना होगा।
अप्रैल 1976 से देश से बाहर ले जाए गए पुरावशेषों के मामले में यूनेस्को कन्वेंशन की भी मदद ली जा सकती है ।