आर्कटिक टुंड्रा बना वार्मिंग प्रदूषण का स्रोत

राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के ‘आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड’ के अनुसार, आर्कटिक टुंड्रा, जिसने हजारों वर्षों से कार्बन संग्रहीत किया है, अब अर्थ-वार्मिंग प्रदूषण का स्रोत बन गया है।

रिपोर्ट इस आर्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र में एक नाटकीय बदलाव का संकेत देती है, जिसका वैश्विक जलवायु पर व्यापक प्रभाव हो सकता है।

टुंड्रा, जो वार्मिंग और बढ़ी हुई जंगल की आग का सामना कर रहा है, अब अपने द्वारा संग्रहीत कार्बन से अधिक कार्बन उत्सर्जित कर रहा है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को और गंभीर कर देगा।

आर्कटिक टुंड्रा में, ठंडी जलवायु के कारण कार्बनिक पदार्थों का अपघटन नाटकीय रूप से धीमा हो जाता है। पौधे और पशु अवशेष हजारों सालों तक पर्माफ्रॉस्ट की परत में फंसे रह सकते हैं  जो CO2 को वायुमंडल में वापस जाने से रोकती है। ऐसी कोई भी जमीन जो कम से कम दो साल तक जमी रहती है उसे पर्माफ्रॉस्ट कहा जाता है।

वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आर्कटिक मृदा पूरे क्षेत्र में 1.6 ट्रिलियन मीट्रिक टन से अधिक कार्बन संग्रहीत करती है।

नए विश्लेषण ने पुष्टि की है कि पारिस्थितिकी तंत्र अब CO2 और मीथेन (CH4) उत्सर्जन का स्रोत बन गया है। ऐसा दो मुख्य कारणों से हुआ है। एक है बढ़ता तापमान। दूसरा कारण यह है कि हाल के वर्षों में आर्कटिक में जंगल की आग की फ्रेक्वेंसी और इंटेंसिटी में वृद्धि देखी गई है।

टुंड्रा की विशेषताओं में शामिल हैं: अत्यधिक ठंडी जलवायु, कम जैव विविधता, सरल वनस्पति संरचना, जल निकासी सिमित, विकास और प्रजनन का लघु मौसम, मृत कार्बनिक पदार्थों के रूप में ऊर्जा और पोषक तत्व, आबादी का बढ़ना-घटना (Large population oscillations)।

error: Content is protected !!