आंध्र प्रदेश में दुनिया के सबसे पुराने ज्ञात शुतुरमुर्ग के घोंसला की खोज

आंध्र प्रदेश के प्रकाशम में पुरातत्वविदों की एक टीम ने 41,000 साल पुराने शुतुरमुर्ग (ostrich) के घोंसले की खोज की। यह दुनिया का सबसे पुराना ज्ञात शुतुरमुर्ग का घोंसला है। घोंसले की चौड़ाई 9-10 फीट है, और कभी इसमें 9-11 अंडे रहते थे, हालाँकि यह एक समय में 30-40 अंडे रखने में सक्षम था।

यह अभूतपूर्व खोज न केवल प्राचीन शुतुरमुर्गों के जीवन और विलुप्त होने पर प्रकाश डालती है, बल्कि प्रागैतिहासिक पर्यावरण और भारत में मेगाफॉनल प्रजातियों के विलुप्त होने को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है।

मेगाफ़ौना (Megafauna) बड़े जानवर हैं जो 2.5 मिलियन से 11,700 साल पहले प्लेइस्टोसिन के दौरान पृथ्वी पर घूमते थे।

शुतुरमुर्ग (स्ट्रूथियो कैमलस) अफ्रीका की नेटिव प्रजाति है और यह पक्षी उड़ नहीं सकता है। शुतुरमुर्ग को उसकी लंबी गर्दन के कारण कभी “कैमल बर्ड” के नाम से जाना जाता था।

ऊंट की तरह, शुतुरमुर्ग उच्च तापमान सहन कर सकता है और लंबे समय तक पानी के बिना रह सकता है।

अफ़्रीका के गर्म सवाना और खुले जंगलों में पाया जाने वाला शुतुरमुर्ग दुनिया का सबसे बड़ा पक्षी है।

चूँकि यह इतना भारी है कभी आसमान में नहीं उड़ सकता। इसके पंख इसे चलाने के लिए बनाया गया है।

शुतुरमुर्ग मुख्यतः शाकाहारी होते हैं, जड़, पत्तियाँ, फूल और बीज खाते हैं। लेकिन वे कीड़े, छिपकलियों और अन्य छोटे जीवों को भी खाएंगे।

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