वाराणसी की तिरंगा बर्फी को मिला GI टैग
वाराणसी की तिरंगा बर्फी (Tiranga barfi) अंततः 16 अप्रैल, 2024 को भौगोलिक संकेतक यानी GI टैग क्लब में शामिल हो गई। इस प्रतिष्ठित श्रेणी में लगभग 69 उत्पादों के साथ, उत्तर प्रदेश GI-टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) वस्तुओं के उत्पादन में लीडरबोर्ड में शीर्ष पर है।
तिरंगा बर्फी पहली बार 1942 में वाराणसी के ठठेरी बाजार में श्री राम भंडार द्वारा बनाई गई थी। यह मिठाई भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राष्ट्रवादी भावनाओं को जगाने के लिए तैयार की गई थी।
जैसे ही लोगों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह करना शुरू किया, तिरंगा बर्फी भारत के लिए प्यार, सम्मान और एकता दिखाने का एक अहिंसक तरीका था। इसका उपयोग स्वतंत्रता सेनानियों और आम लोगों के बीच गुप्त संदेश पहुंचाने के लिए भी किया जाता था।