सागरमाला परिक्रमा के तहत ऑटोनोमस सरफेस पोत का संचालन
सागर डिफेंस इंजीनियरिंग द्वारा निर्मित एक ऑटोनोमस सरफेस पोत ने भारतीय नौसेना की मदद से मुंबई से थूथुकुडी तक 1,500 किलोमीटर की यात्रा पूरी की है।
स्वावलंबन कार्यक्रम के दौरान 29 अक्टूबर को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘सागरमाला परिक्रमा’ (Sagarmala Parikrama) यात्रा को हरी झंडी दिखाई थी।
अपनी तरह की यह पहली यात्रा ऑटोनोमस समुद्री प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता को रेखांकित करती है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक, मानव रहित प्रणालियों को विकसित करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
इसे भारतीय नौसेना के नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO), प्रौद्योगिकी विकास त्वरण सेल (TDAC), और रक्षा नवाचार संगठन (DIO) के तहत रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) पहल का समर्थन प्राप्त है।
सागरमाला परिक्रमा वास्तव में समुद्री जल के सतह पर समुद्री जल के नीचे ऑटोनोमस जहाजों के संचालन से संबंधित है। इसका सैन्य और असैन्य, दोनों क्षेत्रों में उपयोग हो सकता है।
यह महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों, तटीय निगरानी और समुद्री डकैती-रोधी अभियानों में ऑटोनोमस जहाजों की तैनाती का मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे भारतीय नौसेना की परिचालन पहुंच का विस्तार होता है।