अमोनिया प्रदूषण
एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में अमोनिया का स्तर 7 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) तक बढ़ गया है, जो दिल्ली के जल उपचार संयंत्रों की फिल्ट्रेशन क्षमता से अधिक है।
अमोनिया प्राकृतिक रूप से पाया जाता है और इंसानी गतिविधियों से उत्पन्न होता है। यह नाइट्रोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिसकी पौधों और जानवरों को आवश्यकता होती है।
आँतों में पाए जाने वाले बैक्टीरिया अमोनिया उत्पन्न कर सकते हैं। पानी में आसानी से घुलने वाला अमोनिया रंगहीन, तीखी गंध वाला गैसीय रसायन है, जिसका औद्योगिक प्रक्रियाओं में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, इसका उपयोग उर्वरक, शीतलक, क्लीनिंग एजेंट, खाद्य योजक (फ़ूड एडिटिव) के रूप में, तथा पशु आहार उत्पादन, प्लास्टिक और कागज निर्माण में भी किया जाता है।
अमोनिया प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में कृषि भूमि से निकलने वाला अपवाह, अमोनिया का उपयोग करने वाले उद्योगों से निकलने वाला सीधा अपशिष्ट तथा अनुपचारित मलजल शामिल हैं।
यह रसायन नीले-हरित शैवाल (blue-green algae) जैसे कार्बनिक पदार्थों के विघटन के साथ प्राकृतिक रूप से जल में भी उत्सर्जित होता है।
मानव शरीर में अमोनिया का दीर्घकालिक प्रभाव इसके संक्षारक ((corrosive) गुणों के कारण आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। इस तरह यह ऊतकों एवं धातुओं के लिए संक्षारक है। यद्यपि अमोनिया हवा से हल्का होती है, लेकिन रिसाव से उत्पन्न वाष्प शुरू में जमीन से चिपक जाती है।