थंगका पेंटिंग
प्रसिद्ध विद्वान राहुल सांकृत्यायन द्वारा तिब्बत से लाये गए पांडुलिपियों और चित्रों का ‘राहुल कलेक्शन’ बिहार राज्य के म्यूजियम के अधिकारियों और विद्वानों तथा राहुल सांकृत्यायन के परिवार के बीच विवाद का विषय बन गया है।
दरअसल ‘राहुल कलेक्शन’ दिवंगत विद्वान राहुल सांकृत्यायन के 1933 से शुरू हुई तिब्बत यात्रा के दौरान संगृहीत आर्ट्स और पेंटिंग्स हैं। इन्हें राहुल सांकृत्यायन पटना संग्रहालय को अस्थायी उपहार के तौर पर दिया था।
इनमें तिब्बती थंगका पेंटिंग (Tibetan Thangka paintings), 1,600 से अधिक तिब्बती पांडुलिपियां, सिक्के, अनुष्ठान की वस्तुएं, कांस्य की छवियां, आदि शामिल हैं।
बता दें कि थंगका बौद्ध कला का एक प्राचीन रूप है जिसकी उत्पत्ति 11वीं शताब्दी के आसपास तिब्बत में हुई थी। थंगका में चित्रित विषयों में शांतिपूर्ण उपास्य, क्रोधी उपास्य और मंडल शामिल हैं।
थंगका को कई उद्देश्यों के लिए उपयुक्त किया जाता रहा है। ध्यान मुद्रा में सहायता के रूप में, लंबे जीवन के लिए कामना करने हेतु, बीमारी से उबरने के लिए धन्यवाद के प्रतीक के रूप में इत्यादि के लिए इन पेंटिंग्स का उपयोग किया जाता रहा है।