RBI के एक अध्ययन में पुरानी पेंशन योजना (OPS) की ओर लौटने के प्रति सावधान किया गया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक अध्ययन में पुरानी पेंशन योजना (OPS) की ओर लौटने के प्रति सावधान किया गया है। इस स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि OPS के कार्यान्वयन से मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension Scheme: NPS) की तुलना में सरकार पर 4.5 गुना अधिक वित्तीय बोझ पड़ेगा।  

राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS)

राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) 2004 में, सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई थी। हालाँकि, इसे 2009 में बढ़ा दिया गया और अब इसमें सशस्त्र बलों को छोड़कर स्व-नियोजित और असंगठित श्रमिकों सहित सभी नागरिकों को शामिल किया गया है।

NPS के तहत, नागरिक 60 वर्ष की आयु तक हर महीने एक राशि का योगदान करते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन प्राप्त करते हैं।

सरकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत और महंगाई भत्ता (डीए) का योगदान कर सकते हैं, और सरकार हर महीने मूल वेतन और डीए का 14 प्रतिशत योगदान करती है।

अन्य नागरिक NPS के लिए न्यूनतम 500 रुपये मासिक अंशदान कर सकते हैं।

पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) पारदर्शी निवेश मानदंडों और एनपीएस ट्रस्ट द्वारा फंड प्रबंधकों की नियमित प्रदर्शन समीक्षा और निगरानी के साथ NPS को नियंत्रित करता है।

जब कोई ग्राहक सेवानिवृत्ति की आयु/60 वर्ष की आयु तक पहुंचता है, तो उसे एक एन्युटी खरीदने के लिए संचित पेंशन कोष का कम से कम 40% निवेश करना होता है जिससे नियमित मासिक पेंशन मिलेगा। शेष 60% धनराशि एकमुश्त निकाली जा सकती है जिस पर टैक्स नहीं लगते है।

नए NPS दिशानिर्देशों के तहत अगर सब्सक्राइबर्स की कुल जमा राशि 5 लाख रुपये से कम या उसके बराबर है तो एन्युटी प्लान खरीदे बिना पूरी रकम निकाल सकते हैं। ये निकासी भी कर-मुक्त हैं।  

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