बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 (MPI): लगभग 41.5 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर आए

Image credit: OPHI

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 (Global Multidimensional Poverty Index: MPI) 17 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) द्वारा जारी किया गया।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) क्या है?

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) 100 से अधिक विकासशील देशों में तीव्र बहुआयामी गरीबी को मापता है।

यह 10 संकेतकों में प्रत्येक व्यक्ति के अतिव्यापी अभाव को तीन समान रूप से भारित आयामों (dimensions) में मापता है: स्वास्थ्य (health), शिक्षा (education) और जीवन स्तर (standard of living)

स्वास्थ्य (पोषण-1/6, बाल मृत्यु दर-1/6) और शिक्षा (स्कूली शिक्षा का वर्ष-1/6 और स्कूल में उपस्थिति-1/6) आयाम दो संकेतकों पर आधारित हैं, जबकि जीवन स्तर छह संकेतकों (खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति-प्रत्येक 1/18 अंक) पर आधारित है।

MPI 2022 के मुख्य निष्कर्ष

2005-06 और 2019-21 के बीच 15 साल की अवधि के दौरान भारत में लगभग 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये।

MPI मूल्य 2005/2006 में 0.283 से गिरकर 2015/2016 में 0.122 से 2019/2021 में 0.069 हो गया, और देश में गरीबी की व्यापकता (incidence of poverty) 2005-06 के  55.1% से कम होकर  2019-21 में 16.4% हो गई और सभी 10 MPI संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया गया।

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भारत के लिए MPI में सुधार से दक्षिण एशिया में गरीबी में कमी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और यह पहली बार है  जब  दुनिया का सबसे गरीब क्षेत्र दक्षिण एशिया न होकर  उप-सहारा अफ्रीका है जहां 57.9 करोड़ लोग गरीब हैं जबकि दक्षिण एशिया में 38.5 करोड़  लोग गरीब हैं।

वैश्विक MPI स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में फैले 3 आयामों और 10 संकेतकों के माध्यम से प्रत्येक घर और व्यक्ति के वंचित प्रोफाइल का निर्माण करता है। सभी संकेतक प्रत्येक आयाम के भीतर समान रूप से भारित होते हैं। वैश्विक MPI लोगों की पहचान बहुआयामी रूप से गरीब के रूप में करता है यदि उनका अपवंचन (deprivation) स्कोर 1/3 या अधिक है।

वर्ष 2015-2016 में सबसे गरीब राज्य बिहार में MPI मूल्य में पूर्ण रूप से सबसे तेज कमी देखी गई। वहां गरीबी की व्यापकता 2005-2006 के 77.4% से गिरकर 2019-2021 में 34.7% हो गई।

2015-16 से 2019-21 तक सैनिटेशन, खाना पकाने के ईंधन और आवास में सुधार ने MPI में कमी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।  

हालांकि उपर्युक्त सुधारों के बावजूद भारत में अभी भी दुनिया भर में सबसे ज्यादा 22.8 करोड़ लोग गरीब हैं, इसके बाद नाइजीरिया में 9.6 करोड़ लोग हैं। इनमें से दो-तिहाई लोग ऐसे घर में रहते हैं जिसमें कम से कम एक व्यक्ति पोषण से वंचित है। 

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