पंजाब की सतलुज नदी में मिला दुर्लभ टैंटलम
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), रोपड़ के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पंजाब में सतलुज नदी की रेत में दुर्लभ धातु टैंटलम (Tantalum) की मौजूदगी की पुष्टि की है।
टैंटलम के बारे में
टैंटलम की खोज न केवल पंजाब राज्य बल्कि भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस धातु का इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर्स में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
टैंटलम एक दुर्लभ धातु है जिसका एटॉमिक नंबर 73 है। किसी तत्व के एक परमाणु में पाए जाने वाले प्रोटॉन की संख्या को एटॉमिक नंबर कहा जाता है।
इस दुर्लभ धातु का नाम ग्रीक पौराणिक व्यक्ति टैंटलस के नाम पर रखा गया है, जो अनातोलिया में माउंट सिपाइलस के पास एक शहर का अमीर लेकिन दुष्ट राजा था।
यह धातु ग्रे रंग का है। साथ ही यह भारी, बहुत कठोर भी है और आज उपयोग में आने वाली सबसे अधिक संक्षारण प्रतिरोधी (corrosion-resistant) धातुओं में से एक है।
यह उच्च संक्षारण प्रतिरोध होता है क्योंकि हवा के संपर्क में आने पर, यह धातु एक ऑक्साइड परत बनाता है जिसे हटाना बेहद मुश्किल होता है, भले ही यह मजबूत और गर्म एसिड वातावरण के प्रभाव में आये।
शुद्ध होने पर, टैंटलम लचीला (ductile) होता है, जिसका अर्थ है कि इसे बिना टूटे पतले तार या धागे में खींचा जा सकता है।
टैंटलम से बने कैपेसिटर किसी भी अन्य प्रकार के कैपेसिटर की तुलना में बिना अधिक रिसाव के छोटे आकार में अधिक बिजली भंडारित करने में सक्षम हैं।
यह उन्हें स्मार्टफोन, लैपटॉप और डिजिटल कैमरे जैसे पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग के लिए आदर्श बनाता है।
टैंटलम का गलनांक (melting point) उच्च होता है, इसे अक्सर प्लैटिनम के विकल्प के रूप में उपयोग किया जाता है।
इसका उपयोग रासायनिक संयंत्रों, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, हवाई जहाजों और मिसाइलों के लिए कॉम्पोनेन्ट बनाने के लिए भी किया जाता है।