Nankai Trough: जापान ने जारी की अपनी पहली “मेगाक्वेक एडवाइजरी”

8 अगस्त को दक्षिणी जापान में 7.1 तीव्रता के भूकंप के बाद, जापान मौसम विज्ञान संघ (JMA) ने अपनी पहली “मेगाक्वेक एडवाइजरी” जारी की।

एजेंसी का कहना है कि जापान को भविष्य में “महाभूकंप यानी मेगाक्वेक” के लिए तैयार रहना चाहिए जो सैकड़ों हज़ारों लोगों की जान ले सकता है।

यह एडवाइजरी प्रशांत महासागर में नानकाई गर्त (Nankai Trough) से संबंधित है।

महाभूकंप यानी मेगाक्वेक रिक्टर स्केल पर 8 से अधिक तीव्रता वाला भूकंप होता है।

ये तथाकथित “मेगाथ्रस्ट अर्थक्वेक” आमतौर पर जोड़े में आते हैं यानी दो बड़े भूकंप आते हैं, जिनमें से दूसरा अक्सर अगले दो वर्ष बाद आते हैं। सबसे हालिया “जुड़वां” भूकंप 1944 और 1946 में आए थे।

ये मेगाक्वेक जापान के दक्षिणी तट पर खतरनाक सुनामी लाने के लिए जाने जाते हैं।

जापान मौसम विज्ञान संघ (JMA) की हालिया चेतावनी दरअसल 2011 के भूकंप, सुनामी और परमाणु आपदा के बाद तैयार किए गए नए नियमों के तहत जारी की गई पहली चेतावनी है। 2011 की घटना में लगभग 18,500 लोग मारे गए थे।

यह एडवाइजरी प्रशांत महासागर में स्थित नानकाई गर्त से संबंधित है।

नानकाई गर्त  पानी के नीचे का सबडक्शन ज़ोन (लगभग 900 किमी लंबा) है जहाँ यूरेशियन प्लेट फ़िलीपीन सी प्लेट से टकराती है, जिससे यूरेशियन प्लेट, प्लेट फ़िलीपीन सी प्लेट के नीचे और पृथ्वी के मेंटल में चली जाती है।

सबडक्शन ज़ोन एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे से टकराती हैं और भारी प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे खिसक जाती है।

समुद्र के नीचे का 800 किलोमीटर लंबा नानकाई गर्त टोक्यो के पश्चिम में शिज़ुओका से क्यूशू द्वीप के दक्षिणी सिरे तक जाता है।

यह हर एक या दो सदी में रिक्टर स्केल पर आठ या नौ तीव्रता के विनाशकारी भूकंपों का स्थल रहा है।

error: Content is protected !!