भारत में पहली बार तटीय और वेडर पक्षियों की गणना
भारत में पहली बार तटीय और वेडर पक्षियों की गणना (census of coastal and wader birds) 3 जनवरी से 5 जनवरी तक जामनगर (गुजरात) के मरीन नेशनल पार्क और मरीन अभयारण्य में की गई। इसमें ओखा से नवलखी तक समुद्र तट के अनुमानित 170 किलोमीटर लंबे हिस्से में चयनित स्थानों को शामिल किया गया।
यह गणना राज्य वन विभाग और गुजरात के पक्षी संरक्षण सोसायटी (BCSG) द्वारा मरीन नेशनल पार्क और मरीन अभयारण्य में की गई, जहां वेडर पक्षी या शोरबर्ड (Wader birds or shorebirds), चरद्रीफॉर्मेस क्रम (Charadriiformes) के पक्षी हैं।
मरीन नेशनल पार्क और मरीन सेंचुरी, जामनगर के बारे में:
- यह भारत का पहला मरीन वन्यजीव अभयारण्य (1980) और मरीन नेशनल पार्क (1982) है। यह गुजरात के कच्छ की खाड़ी में स्थित है।
- इसे समुद्री जैव विविधता और मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए स्थापित की गई है।
- विशिष्टता: कम ज्वार के दौरान आगंतुक समुद्री जीवन को पैदल ही देखकर अनुभव कर सकते हैं।
- मरीन नेशनल पार्क मध्य एशियाई फ्लाईवे में स्थित है, जो इसे प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बनाता है।
- यह आर्कटिक से भारतीय महासागर तक फैले प्रवास मार्ग का हिस्सा है, जिसमें यूरोप और एशिया के हिस्से शामिल हैं। इसमें साइबेरिया के प्रजनन क्षेत्र और दक्षिण व दक्षिण-पश्चिम एशिया के शीतकालीन क्षेत्र आते हैं।
- यह देवभूमि द्वारका, जामनगर और मोरबी जिलों में फैला हुआ है।
- इसमें 42 द्वीप शामिल हैं और यह 170 किमी तटीय क्षेत्र को कवर करता है।
- यहां लगभग 300 देशज और प्रवासी पक्षी प्रजातियां प्राप्त होती हैं।
- समृद्ध समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र जिसमें शामिल हैं:
- समुद्री प्रजातियां: कोरल रीफ्स, डॉल्फिन, कछुए, डुगोंग, पोर्पोइज़ और ऑक्टोपस।
- मैंग्रोव प्रजातियाँ: क्षेत्रीय पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।