4200 साल पहले भारतीयों को पता था लोहे का इस्तेमाल: तमिलनाडु में खुदाई से मिले साक्ष्य

Archaeological excavations in Mayiladumparai, Image credit: Twitter

मयिलादुम्पराई (Mayiladumparai) नामक एक छोटे से गांव में खुदाई के दौरान खोजे गए लोहे के औजारों के आधार पर तमिलनाडु में लौह युग को 4,200 साल पुराना बताया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि यह स्थापित हो गया है कि 4,200 साल पहले रहने वाले तमिल लोहे के बारे में जानते थे। इससे पहले, लोहे के उपयोग का सबसे प्राचीन सबूत भारत के लिए 1900-2000 ईसा पूर्व था, जबकि तमिलनाडु के लिए मेट्टूर के पास थेलुंगनूर और मंगडू की खोज की आधार पर 1500 ईसा पूर्व के थे। परंतु नवीनतम साक्ष्य से स्पष्ट होता है की तमिलनाडु में 2172 ईसा पूर्व में लोहा का प्रयोग किया जाता था।

भारत के सबसे पुराना लौह युगीन स्थल

  • मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 9 मई को राज्य विधानसभा में घोषणा की, कि कृष्णागिरी जिले के मयिलाडुम्पराई से खुदाई की रेडियोकार्बन डेटिंग ने पुष्टि की है कि तमिलनाडु में 2172 ईसा पूर्व यानी 4,200 साल पहले लोहे का इस्तेमाल किया गया था – जो इसे वर्तमान में भारत के सबसे पुराना लौह युगीन स्थल (the oldest iron age site currently found in India) बनाता है।
  • बेंगलुरु से लगभग 100 किमी दक्षिण में स्थित मयिलादुम्पराई माइक्रोलिथिक (30,000 ईसा पूर्व) और प्रारंभिक ऐतिहासिक (600 ईसा पूर्व) युगों के बीच की सांस्कृतिक चरण वाला एक महत्वपूर्ण स्थल है।
  • यह स्थल कई पुरातात्विक स्थलों जैसे तोगरापल्ली, गंगावरम, संदूर, वेदारथट्टक्कल, गुट्टूर, गिदलुर, सप्पमुत्लु और कप्पलवाड़ी के बीच में स्थित है। ये सभी महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल 10 किमी के भीतर स्थित हैं।
  • सिंधु घाटी में लोहे का उपयोग नहीं किया गया था, जहां से भारत में तांबे के उपयोग की उत्पत्ति (1500 ईसा पूर्व) हुयी थी।

भारत में लौह उपयोग का इतिहास

  • वर्ष 1979 में किये गये उत्खनन से पता चला कि राजस्थान के अहार में लोहे का उपयोग 1300 ईसा पूर्व में हुआ था।
  • बाद में, कर्नाटक के बुक्कासागर में लोहे के उत्पादन का संकेत देने वाले नमूने 1530 ईसा पूर्व के थे।
  • बाद में मध्य-गंगा घाटी में रायपुरा में लोहे के गलाने के प्रमाण मिले जिससे भारत में लौह युग की शुरुआत 1700-1800 ईसा पूर्व में माना जाने लगा।
  • हालाँकि फिर वाराणसी के पास मल्हार और उत्तरी कर्नाटक में ब्रह्मगिरी में स्थलों की जांच के आधार पर 1900-2000 ईसा पूर्व में लोहे के उपयोग के प्रमाण प्राप्त हुए।
  • अब मयिलादुम्पराई से मिली सामग्रियों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में 2172 ईसा पूर्व में लोहे का उपयोग किया जाता था।

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