भारत में सेप्सिस से होने वाली 33% मौतें एंटीबायोटिक प्रतिरोध संकट से जुड़ी हैं
नए ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (GRAM) प्रोजेक्ट के अनुसार, 2019 में भारत में 3 से 10.4 लाख लोगों की मौत बैक्टीरियल एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR) के कारण हुई। AMR ऐसी स्थिति है जिसमें रोगजनक बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं पड़ता है।
AMR के वैश्विक मामलों का पहला विश्लेषण ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और वाशिंगटन विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य मीट्रिक और मूल्यांकन संस्थान (IHME) के बीच साझेदारी प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
यह विश्लेषण रिपोर्ट लैंसेट जर्नल में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 29.9 लाख लोगों की या तो सीधे तौर पर संक्रमण के कारण या सेप्सिस के कारण मृत्यु हुई, जो एक व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में देश में पांच साल से कम उम्र के 3,25,091 बच्चों की मौत बैक्टीरियल संक्रमण के कारण हुई। भारतीय बच्चों के लिए सबसे घातक पाया गया बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया था, जो 2019 में 58,212 मौतों से जुड़ा था।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में, बैक्टीरियल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) मौतें छह प्रमुख सुपरबग्स- एस्चेरिचिया कोलाई, क्लेबसिएला निमोनिया, स्टैफिलोकोकस ऑरियस, एसिनेटोबेक्टर बाउमानी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस और स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया से जुड़ी हैं या उनके लिए जिम्मेदार हैं।
सेप्सिस
सेप्सिस जानलेवा बीमारी है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली किसी संक्रमण के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया करती है, जिससे अंगों में शिथिलता आती है।
शरीर की प्रतिक्रिया से उसके अपने ऊतकों और अंगों को नुकसान होता है और यह सदमे, मल्टी ऑर्गन फेलियर और कभी-कभी मृत्यु का कारण बन सकता है, खासकर अगर जल्दी इस बीमारी की पहचान नहीं की जाती है और तुरंत इलाज नहीं किया जाता है।
सेप्सिस किसी को भी हो सकता है, लेकिन जो लोग उम्र में बड़े हैं, बहुत छोटे हैं, गर्भवती हैं या जिन्हें अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उनमें इसका खतरा अधिक होता है।
सेप्सिस आमतौर पर बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है लेकिन यह वायरस, परजीवी या कवक (फंगस) जैसे अन्य संक्रमणों का परिणाम भी हो सकता है।