ICGH-2023: अंतर्राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन सम्मेलन
ग्रीन हाइड्रोजन पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICGH-2023) का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 5-7 जुलाई 2023 तक किया गया, जिसमें भारत और दुनिया के हितधारकों की शानदार उपस्थिति देखी गई।
इसमें भारत सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने और इसे प्रौद्योगिकी, एप्लीकेशन, नीति और विनियमन में वैश्विक रुझानों के साथ संरेखित करने की कोशिश की गई।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने कहा कि भारत ने 2030 के लक्ष्य से 9 वर्ष पहले 2021 में ही गैर-जीवाश्म बिजली लक्ष्य का 40% प्राप्त कर लिया है। उन्होंने कहा कि आज भारत की 42% विद्युत उत्पादन क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधनं पर आधारित है और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन 50% क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। भारत ग्रीन हाइड्रोजन को अपनाने में भी अग्रणी बनकर उभरना शुरू कर दिया है।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission) के अंतर्गत वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष कम से कम 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने की क्षमताओं का निर्माण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत 35 लाख टन हरित हाइड्रोजन विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिए परियोजनाएं शुरू की जा चुकी हैं।
यह मिशन जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त हाइड्रोजन को अमोनिया उत्पादन एवं पेट्रोलियम शोधन में हरित हाइड्रोजन के साथ बदलने, शहरी गैस वितरण प्रणालियों में ग्रीन हाइड्रोजन के मिश्रण, ग्रीन हाइड्रोजन के साथ स्टील के उत्पादन और मोबिलिटी, शिपिंग और शायद विमानन सहित विभिन्न क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन को बदलने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन-से प्राप्त सिंथेटिक ईंधन (जैसे ग्रीन मेथनॉल) के उपयोग का समर्थन करेगा।
मंत्री ने कहा कि भारत में हरित हाइड्रोजन की लागत दुनिया में सबसे कम होगी क्योंकि भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने की लागत दुनिया में सबसे कम है।
भारत की पहल
सरकार ने इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण और हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एक प्रोत्साहन योजना शुरू की है।
सरकार ग्रीन हाइड्रोजन इकोसिस्टम के लिए आवश्यक फ्यूल सेल, हाइड्रोजन भंडारण और अन्य प्रौद्योगिकियों के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में उद्योग के साथ साझेदारी करेगी।
भारत विश्व में ग्रीन हाइड्रोजन के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है, जिसकी मांग प्रति वर्ष 6 मिलियन टन है।
तेल और गैस पीएसयू वर्ष 2024-25 तक 230 किलो टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके अलावा, इन सार्वजनिक उपक्रमों ने वर्ष 2030 तक प्रति वर्ष 7 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने भारत में हाइड्रोजन ईंधन सेल के विकास के लिए टाटा मोटर्स के साथ एक समझौता किया है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल द्वारा संचालित बसों को गुजरात में परीक्षण के रूप में चलाना शुरू किया गया है।
ऑयल इंडिया लिमिटेड ने असम के जोरहाट में एक पायलट संयंत्र शुरू किया है जो प्रति दिन 10 किलोग्राम हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करता है।