COP 2 में न्यू कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल ऑन क्लाइमेट फाइनेंस पर समझौता

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पक्षकारों का 29वां सम्मेलन (COP 29) 24 नवंबर को बाकू (अज़रबैजान) में संपन्न हो गया।

इस सम्मेलन में न्यू कलेक्टिव क्वांटिफाइड गोल ऑन क्लाइमेट फाइनेंस के तहत विकासशील देशों को दिए जाने वाले पब्लिक फाइनेंस को तिगुना करने पर सहमति हुई, जो पिछले लक्ष्य 100 बिलियन अमरीकी डालर प्रति वर्ष से बढ़कर 2035 तक 300 बिलियन अमरीकी डालर प्रतिवर्ष हो गया।

नई राशि 2009 में तय की गई $100 बिलियन की राशि की जगह लेगी।

भारत ने 24 नवंबर, 2024 को संयुक्त राष्ट्र COP29 शिखर सम्मेलन में सहमत हुए इस नए जलवायु वित्त समझौते पर कड़ी आपत्ति जताई।

विकसित देशों ने विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करने के लिए 2035 तक सालाना 300 बिलियन डॉलर की अंतिम पेशकश की।

हालाँकि, 300 बिलियन डॉलर का आंकड़ा ग्लोबल साउथ के देशों द्वारा पिछले तीन वर्षों में मांगे जा रहे 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बहुत कम है। साथ ही तय की राशि को 2035 तक का समय दिया गया है जो लंबा वक्त है।

COP29 घोषणापत्र में सभी भागीदारों से से सभी सार्वजनिक और निजी स्रोतों से विकासशील देशों को कम से कम $1.3 ट्रिलियन तक वित्तपोषण बढ़ाने की दिशा में काम करने का आह्वान किया गया।

COP प्रेसीडेंसी उस लक्ष्य की दिशा में प्रगति करने के लिए “बाकू से बेलेम रोडमैप टू 1.3T” (Baku to Belém Roadmap to 1.3T) का नेतृत्व करेगी।  

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