11 नई आर्द्रभूमियों के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत में हुए 75 रामसर स्थल
अंतर्राष्ट्रीय महत्व की 11 नयी आर्द्रभूमियों के साथ स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत में 13,26,677 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करते हुए रामसर स्थलों की कुल संख्या 75 (75 Ramsar Sites in 75th Year of Independence) हो गई हैं।
11 नए स्थलों में तमिलनाडु में चार (4), ओडिशा में तीन (3), जम्मू और कश्मीर में दो (2) और मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र प्रत्येक में एक (1) शामिल हैं। इन स्थलों को नामित करने से इन आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन तथा इनके संसाधनों के कौशलपूर्ण रूप से उपयोग करने में सहायता मिलेगी।
1971 में ईरान के रामसर में रामसर संधि पत्र पर हस्ताक्षर के अनुबंध करने वाले पक्षों में से भारत एक है। भारत ने 1 फरवरी, 1982 को इस पर हस्ताक्षर किए। 1982 से 2013 के दौरान, रामसर स्थलों की सूची में कुल 26 स्थलों को जोड़ा गया, हालांकि, इस दौरान 2014 से 2022 तक, देश ने रामसर स्थलों की सूची में 49 नई आर्द्रभूमि जोड़ी हैं।
वर्ष 2022 के दौरान ही कुल 28 स्थलों को रामसर स्थल घोषित किया गया है। रामसर प्रमाण पत्र में अंकित स्थल की तिथि के आधार पर इस वर्ष (2022) के लिए 19 स्थल और पिछले वर्ष (2021) के लिए 14 स्थल हैं।
तमिलनाडु में रामसर स्थलों की अधिकतम संख्या (14) है। इसके पश्चात उत्तर प्रदेश में रामसर के 10 स्थल हैं।
भारत के 11 नए रामसर आर्द्रभूमि स्थल
तंपारा झील/Tampara Lake (ओडिशा): तंपारा झील गंजम जिले में स्थित ओडिशा राज्य की सबसे प्रमुख मीठे पानी की झीलों में से एक है।
हीराकुंड जलाशय/Hirakud Reservoir (ओडिशा): ओडिशा में सबसे बड़ा मिट्टी के बांध हीराकुंड जलाशय ने कई उच्च संरक्षण महत्व सहित पुष्प और जीव प्रजातियों की एक श्रृंखला का समर्थन करने के लिए 1957 में काम करना शुरू कर दिया था।
अंशुपा झील/Ansupa Lake (ओडिशा): अंशुपा झील कटक जिले के बांकी उप-मंडल में स्थित ओडिशा की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों के लिए प्राचीन काल से इसकी प्रसिद्धि है। यह आर्द्रभूमि महानदी नदी द्वारा बनाई गई एक ऑक्सबो झील है।
यशवंत सागर/Yashwant Sagar (मध्य प्रदेश): यशवंत सागर इंदौर क्षेत्र में दो महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (आईबीए) में से एक है और साथ ही मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण पक्षी स्थलों में से एक है। वर्तमान में इसका उपयोग मुख्य रूप से इंदौर शहर में पानी की आपूर्ति के लिए किया जाता है ।
चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य/Chitrangudi Bird Sanctuary (तमिलनाडु): चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य, जिसे स्थानीय रूप से “चित्रांगुडी कनमोली” के नाम से जाना जाता है, तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है।
सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स/Suchindram Theroor Wetland Complex (तमिलनाडु): यह सुचिन्द्रम-थेरूर मनाकुडी कंजर्वेशन रिजर्व का हिस्सा है। यह एक मानव निर्मित, अंतर्देशीय जलाशय है और बारहमासी है। 9वीं शताब्दी के तांबे की प्लेट के शिलालेखों में पसुमकुलम, वेंचिकुलम, नेदुमर्थुकुलम, पेरुमकुलम, एलेमचिकुलम और कोनाडुनकुलम का उल्लेख है। इस क्षेत्र में पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से 53 प्रवासी, 12 स्थानिक और 4 विलुप्त होने की कगार पर हैं।
वडुवूर पक्षी अभ्यारण्य/Vaduvur Bird Sanctuary (तमिलनाडु): वडुवूर पक्षी अभयारण्य 112.638 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है, यह एक बड़ा मानव निर्मित सिंचाई जलाशय और प्रवासी पक्षियों के लिए आश्रय है क्योंकि यह भोजन, आश्रय और प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करता है।
कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य/Kanjirankulam Bird Sanctuary (तमिलनाडु): तमिलनाडु के मुदुकुलथुर रामनाथपुरम जिले के पास कांजीरकुलम पक्षी अभयारण्य 1989 में घोषित एक संरक्षित क्षेत्र है।
ठाणे क्रीक/Thane Creek ( महाराष्ट्र): ठाणे क्रीक भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। इस क्रीक में ताजे पानी के कई स्रोत हैं, जिनमें उल्हास नदी सबसे बड़ी है, इसके बाद मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे के विभिन्न उपनगरीय क्षेत्रों से कई जल निकासी साधन हैं। इसे ठाणे क्रीक फ्लेमिंगो अभयारण्य घोषित किया गया है।
हाइगम आर्द्रभूमि संरक्षण रिजर्व/Hygam Wetland Conservation Reserve (जम्मू-कश्मीर): हाइगम वेटलैंड झेलम नदी बेसिन के भीतर आता है और स्थानीय समुदायों के लिए बाढ़ अवशोषण बेसिन, जैव विविधता संरक्षण स्थल, पर्यावरण-पर्यटन स्थल और आजीविका सुरक्षा के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आर्द्रभूमि बारामुला जिले में स्थित है।
शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व/Shallbugh Wetland Conservation Reserve (जम्मू-कश्मीर): शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर जिले में स्थित है। आर्द्रभूमि के बड़े क्षेत्र सितंबर और मार्च के बीच सूख जाते हैं।