फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTCs)

केंद्र सरकार के अनुसार 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 412 विशिष्ट POCSO अदालतों सहित 758 फास्ट ट्रैक अदालतें काम कर रहे हैं।

फास्ट ट्रैक कोर्ट (Fast Track Courts: FTCs) की स्थापना और इसकी कार्यप्रणाली संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है।

14वें वित्त आयोग ने जघन्य प्रकृति के विशिष्ट मामलों; महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों, लाइलाज बीमारियों  से पीड़ित व्यक्तियों से संबंधित सिविल केसेस  तथा 5 साल से अधिक समय से लंबित संपत्ति से संबंधित मामले  की त्वरित सुनवाई के लिए 2015-20 के दौरान 1800 फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTC) की स्थापना की सिफारिश की थी।

14वें वित्त आयोग ने राज्य सरकारों से कर हस्तांतरण के माध्यम से उपलब्ध बढ़ी हुई राजकोषीय आवंटन  (32% से बढाकर 42%) का उपयोग फास्ट ट्रैक कोर्ट  की स्थापना  के लिए करने की सिफारिश की थी। अर्थात, इस हेतु कोई अलग आवंटन नहीं किये गए थे।

केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से वित्तीय वर्ष 2015-16 से फास्ट ट्रैक कोर्ट  की स्थापना के लिए धन आवंटित करने का भी आग्रह किया है।

फास्ट ट्रैक कोर्ट  के अलावा, दंड-विधि  (संशोधन) अधिनियम, 2018 के अनुसरण में, भारत सरकार ने बलात्कार और यौन अपराधों से बच्चों की रोकथाम (POCSO) अधिनियम, 2012 से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई और निपटान के लिए विशेष POCSO अदालतों सहित फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (FTSCs) की स्थापना के लिए अगस्त, 2019 में एक योजना को अंतिम रूप दिया।  

वर्तमान में, विचाराधीन कैदियों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने की कोई योजना नहीं चलायी जा रही है।

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