कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव: 11-14 आयु वर्ग की 1 लाख लड़कियों को जुलाई 2022 से औपचारिक शिक्षा में शामिल किया गया
किसी कारणवश स्कूली शिक्षा छोड़ चुकी 11-14 वर्ष की बच्चियों को पुनः शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री द्वारा “कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव” (Kanya Shiksha Pravesh Utsav) शुरू किया गया था।
इस महत्वकांक्षी अभियान की बदौलत आज 1 लाख बच्चियां शिक्षा की मुख्य धारा में शामिल हो चुकी हैं।
इसके साथ ही मंत्रालय द्वारा “पोषण ट्रेकर एप्प” के माध्य़म से जिस प्रकार प्रवासी मजदूरों के बच्चों को आंगनबाड़ी की सुविधा प्रदान की जा रही उससे बच्चों के पोषण स्तर में सुधार में आशातीत मदद मिल रही है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अभियान से आज इनती बड़ी संख्या में बच्चियों को शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ा जाना एक ऐतिहासिक कार्य है तथा यह बच्चियों को देश के विकास का हिस्सा बनाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता का उत्तम उदाहरण है।
शिक्षा मंत्रालय के साथ साझेदारी में शुरू किया गया यह अभियान 11 से 14 साल के बीच की लड़कियों पर केंद्रित था। अभियान के तहत आंगनबाड़ियों का उद्देश्य स्कूल न जाने वाली लड़कियों की पहचान करना था।
2012-13 में 1.4 करोड़ लड़कियां स्कूल से बाहर थीं। जब मंत्रालय ने राज्यों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से प्राप्त ड्रॉपआउट डेटा का सत्यापन करना शुरू किया, तो यह पाया गया कि 2019-20 में स्कूल न जाने वाली लड़कियों का आंकड़ा कम होकर 25 लाख हो गया था; फिर 2021-22 में 5 लाख; और 2022-23 में और घटकर 3.8 लाख हो गया।
स्कूल छोड़ने वालों की संख्या कम होने का एक कारण यह है कि बच्चों को मुख्यधारा में शामिल कर लिया गया है। तब से “11-14 आयु वर्ग की किशोरियों के लिए योजना” (Scheme for Adolescent Girls) बंद कर दी गई है।
नई योजना में एक नई श्रेणी: 14 से 18 वर्ष की किशोरियां बनाया गया है।
पीढ़ीगत कुपोषण को रोकने के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण श्रेणी है। यदि एक किशोर लड़की की पोषण संबंधी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाता है, तो उसके बच्चे पैदा करने की उम्र में कुपोषित बच्चे को जन्म देने की संभावना कम हो जाती है।