हाई अल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट व्हीकल (HAPS) का परीक्षण

बेंगलुरु में राष्ट्रीय एयरोस्पेस लेबोरेटरी (एनएएल) ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले में चल्लकेरे टेस्ट रेंज में सोलर पॉवर्ड “स्यूडो सैटेलाइट” का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।

यह एक नयी पीढ़ी का मानव रहित हवाई वाहन (unmanned aerial vehicle: UAV) है जो सीमावर्ती क्षेत्रों में भारत की निगरानी और टोही क्षमताओं को काफी बढ़ा सकता है।

हाई अल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट व्हीकल (HAPS), जमीन से 18-20 किमी की ऊंचाई पर उड़ सकता है, जो कमर्शियल हवाई जहाजों द्वारा प्राप्त ऊंचाई से लगभग दोगुना है। इसमें सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता है, इसलिए यह महीनों, यहां तक कि वर्षों तक हवा में रह सकता है, जिससे इसे एक उपग्रह के फायदे मिलते हैं।

हालांकि, इसे अंतरिक्ष में जाने के लिए रॉकेट की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए HAPS को संचालित करने की लागत एक सैटेलाइट की तुलना में कई गुना कम होती है।

HAPS अभी भी विकसित हो रही तकनीक है, और हाल ही में सफल परीक्षण उड़ान भारत को उन देशों के एक बहुत छोटे समूह में ला दिया है जो वर्तमान में इस तकनीक के साथ प्रयोग कर रहे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा लंबे समय से अपने पाथफाइंडर सीरीज के विमानों के लिए सौर ऊर्जा से संचालित इंजन का उपयोग कर रहा है। चीन, दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम कुछ अन्य देश हैं जहां इसका विकास हो रहा है।

हवा में अधिक देर तक रहने वाले, अधिक-ऊंचाई पर उड़ने वाले उपकरणों के विकास की आवश्यकता सीमा पर गतिविधियों की निरंतर निगरानी के कारण उत्पन्न हुई है, विशेष रूप से 2017 में डोकलाम गतिरोध के मद्देनजर। बैटरी से चलने वाले यह UAV हवा में रह सकते हैं सीमित समय के लिए और अपेक्षाकृत छोटे क्षेत्रों को स्कैन कर सकता है।

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