स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर NCERT ने जारी किए नए दिशा-निर्देश

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स्कूल जाने वाले छात्रों में मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health in school going children) की बढ़ती समस्याओं को देखते हुए NCERT ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

ये नए दिशा-निर्देश एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के बाद जारी किए गए हैं जिनमें स्कूल जाने वाले छात्रों में परीक्षा, इसके परिणाम और अपने साथियों के दबाव को तनाव और चिंता के प्रमुख कारक माने गए हैं।

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण पर एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, 29 प्रतिशत छात्रों में एकाग्रता की कमी है, जबकि 43 प्रतिशत में मिजाज बदलने की समस्या है।

सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 81 प्रतिशत छात्र पढ़ाई, परीक्षा और परिणामों के कारण होने वाली चिंता से ग्रस्त हैं।

NCERT के मनोदर्पण सेल ने 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3.79 लाख से अधिक छात्रों को शामिल करते हुए सर्वेक्षण किया। कुल प्रतिभागियों में से 1,58,581 छात्र मिडिल स्कूल स्तर (6-8 कक्षा) से थे, जबकि 2,21,261 निजी और सरकारी दोनों स्कूलों के माध्यमिक स्तर (9-12 कक्षा) से थे।

स्कूली बच्चों के बीच मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के बाद NCERT द्वारा “स्कूल जाने वाले बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रारंभिक पहचान और हस्तक्षेप” (Early identification and intervention for mental health problems in school going children and adolescents) शीर्षक के तहत दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

NCERT के दिशा-निर्देशों में निम्नलिखित शामिल हैं:

हर विद्यालय को एक मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार समिति (mental health advisory panel.) बनानी चाहिए। इसकी अध्यक्षता प्रिंसिपल की ओर से की जानी चाहिए। इसमें शिक्षक, माता-पिता, विद्यार्थी, पूर्व विद्यार्थी सदस्य के तौर पर शामिल होंगे।

यह देखते हुए हुए कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े अधिकांश मुद्दे जीवन के शुरुआती चरण में सामने आते हैं, इसलिए माता-पिता और शिक्षक बच्चों को प्रारंभिक संकेतों के बारे में बताना चाहिए

स्कूलों में बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण में विकसित होने की उम्मीद की जाती है। स्कूल प्रबंधन, प्रिंसिपल, शिक्षक, अन्य कर्मचारी और विद्यार्थी स्कूल में साल के लगभग 220 दिन बिताते हैं। वहीं हॉस्टल में यह वक्त और बढ़ जाता है। ऐसे में सभी बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण, स्वास्थ्य और भलाई सुनिश्चित करना विद्यालयों की जिम्मेदारी है।

प्रमुख उपाय

शिक्षा मंत्रालय ने मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक भलाई के लिए छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हुए, ‘मनोदर्पण’ (Manodarpan) नामक एक सक्रिय पहल शुरू की है।

कक्षा 1 से 12 तक के लिए ‘सहयोग: बच्चों की मानसिक भलाई के लिए मार्गदर्शन’ (SAHYOG: Guidance for Mental Wellbeing of Children) पर लाइव इंटरेक्टिव सत्र दोपहर 12 बजे ई-विद्या डीटीएच-टीवी चैनलों पर प्रसारित किए जाते हैं।

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