सुप्रीम कोर्ट (SC) ने चेक बाउंस के मामलों के लिए विशेष अदालतों की स्थापना की

चेक बाउंस (cheque-bounce ) के मामलों में पीड़ितों को राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को सर्वाधिक लंबित मामलों वाले पांच राज्यों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में विशेष अदालतें (special courts ) स्थापित करने का आदेश दिया है।

विशेष अदालतें

मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक सितंबर से विशेष अदालतें स्थापित की जाएंगी।

ये विशेष न्यायालय नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट (चेक अनादर) (Negotiable Instruments Act (cheque dishonour)) की धारा 138 के तहत ऐसे मामलों की सुनवाई करेंगे।

पांच राज्यों में विशेष अदालतें

एमआईसी क्यूरी ने 1 मई को बताया था कि केवल पांच महीनों में 737,124 चेक अनादर के मामलों में वृद्धि हुई है। लंबित मामले पिछले नवंबर 2021 में 2,607,166 से बढ़कर 13 अप्रैल, 2022 तक 3,344,290 हो गए।

सबसे अधिक मामले राजस्थान (479,774), गुजरात (437,979), दिल्ली (408,992) और उत्तर प्रदेश (266,777) हैं।

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 चेक के अनादर के मामलों में लागू होता है। 1

881 के बाद से इस अधिनियम में कई बार संशोधन किया गया है।

अधिनियम की धारा 138 के अनुसार, चेक का अनादर करना एक अपराध है और इसके लिए दो साल तक की कैद या आर्थिक दंड या दोनों तरह की सजा का प्रावधान है।

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