साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष गोपी चंद नारंग का निधन
प्रख्यात उर्दू विद्वान और साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष गोपी चंद नारंग (Gopi Chand Narang) का अमेरिका के चारलोट में निधन हो गया। वह 91 वर्ष के थे। उनका जन्म पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के छोटे से शहर दुक्की में हुआ था।
उर्दू क़िस्सों से माख़ूज़ उर्दू मसनवियां (2002), उर्दू ग़ज़ल और हिंदुस्तानी ज़ेहन-ओ-तहज़ीब (2002), हिंदुस्तान की तहरीक-ए-आज़ादी, ग़ालिब: मानी आफ़रीनी (2013) इस सिलसिले की महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं।
उन्होंने कई सालों तक दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाया।
अपने बारीक विश्लेषणों से गालिब और फैज की शायरी को जीवंत स्वरूप देने वाले गोपी चंद का भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में सम्मान किया जाता था और उनके प्रशंसक भी हैं।
उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में 60 से अधिक पुस्तकों के लेखक गोपी चंद नारंग को 1990 में पद्म श्री, 2004 में पद्म भूषण और फिर आठ साल बाद 2012 में पाकिस्तान के सितारा-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया गया था।
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