सारस 3 (SARAS 3) रेडियो टेलीस्कोप

SARAS 3 experiment on Sharavati backwaters, Karnataka

भारतीय शोधकर्ताओं ने कॉस्मिक डॉन (ब्रह्माण्ड का उद्भव) से एक रेडियो तरंग सिग्नल की खोज के हालिया दावे का निर्णायक रूप से खंडन किया है। कॉस्मिक डॉन (cosmic dawn) का समय हमारे ब्रह्मांड की शुरुआती अवस्था का था, जब पहली बार तारे और आकाशगंगाएं अस्तित्व में आई थीं।

  • वर्ष 2018 में अमेरिका में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी (एएसयू) और एमआईटी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने ईडीजीईएस (EDGES) रेडियो टेलीस्कोप (दूरबीन) से डेटा का उपयोग करके प्रारंभिक ब्रह्मांड में उभरते तारों से एक सिग्नल का पता लगाया था।
  • नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से पूरे विश्व के खगोल वैज्ञानिकों के बीच काफी उत्‍साह पैदा किया था।
  • रमन अनुसंधान संस्थान (RRI) के शोधकर्ताओं ने स्वदेशी रूप से आविष्कार की गई और निर्मित सारस 3 (SARAS 3) रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए इस दावे का खंडन किया है।

सारस 3 (SARAS 3) रेडियो टेलीस्कोप

  • RRI में खगोलविदों द्वारा आविष्कार की गई और निर्मित SARAS 3 रेडियो टेलीस्कोप जरूरी सूक्ष्मग्राहिता तक पहुंचने वाला विश्व का पहला टेलीस्कोप है। 
  • सारस (SARAS: Shaped Antenna Measurement of the Background Radio Spectrum), आरआरआई की ओर से शुरू किया गया एक आला उच्च जोखिम वाला उच्च-लाभ प्रायोगिक प्रयास है। इसका नेतृत्व प्रोफेसर एन. उदय शंकर के साथ प्रोफेसर रवि सुब्रह्मण्यन ने किया है।
  • यह हमारे “कॉस्मिक डॉन”, जब शुरुआती ब्रह्मांड में पहली बार तारे और आकाशगंगाएं बनी थीं, के समय से अत्यंत धीमी रेडियो तरंग संकेतों का पता लगाने के लिए भारत में एक सटीक रेडियो टेलीस्कोप को डिजाइन, निर्माण और तैनात करने का एक साहसी प्रयास था।
  • सारस-3, सारस का अद्यतन संस्करण है।
  • 2020 में रेडियो टेलीस्कोप को उत्तरी कर्नाटक की झीलों में दांडीगनहल्ली झील और शरवती बैकवाटर पर लगाया गया था।

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