सामूहिक विनाश के हथियार और आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधि निषेध) संशोधन विधेयक 2022
संसद ने सामूहिक विनाश के हथियार और आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधि निषेध) संशोधन विधेयक 2022 (Weapons of Mass Destruction and their Delivery Systems (Prohibition of Unlawful Activities) Amendment Bill, 2022) को 1 अगस्त 2022 को पारित कर दिया। राज्यसभा ने 1 अगस्त को इसे स्वीकृति दी।
यह विधेयक भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पेश किया था।
विधेयक की प्रमुख विशेषताएं
यह विधेयक सामूहिक विनाश के हथियार (WMD) और आपूर्ति प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005 में संशोधन के लिए लाया गया है।
वर्ष 2005 का अधिनियम सामूहिक विनाश के हथियारों और उसकी आपूर्ति के साधनों, परिवहन या हस्तांतरण जैसी गैरकानूनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है। लेकिन वित्तीय स्रोतों पर प्रतिबंध का प्रावधान नहीं था। लेकिन मौजूदा विधेयक किसी को भी WMD और इसकी आपूर्ति प्रणाली से जुड़े किसी भी गैरकानूनी कार्रवाई के वित्तपोषण से मना करता है ।
विधेयक सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) के वित्तपोषण पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करता है और केंद्र को ऐसी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों की वित्तीय संपत्ति को फ्रीज करने, जब्त करने या संलग्न करने की शक्ति देता है।
सामूहिक विनाश के हथियार और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005 में पारित किया गया था, केवल सामूहिक विनाश के हथियारों के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और वित्तपोषण इस अधिनियम में शामिल नहीं था।
संशोधन विधेयक मौजूदा कानून में एक नई धारा 12A सम्मिलित जोड़ता है जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी गतिविधि को वित्तपोषित नहीं करेगा जो इस अधिनियम के तहत या संयुक्त राष्ट्र (सुरक्षा परिषद) अधिनियम, 1947 या किसी अन्य प्रासंगिक अधिनियम के तहत निषिद्ध है।
क्या हैं सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD)?
अंतर्राष्ट्रीय कानून में WMD की कोई एक निश्चित परिभाषा नहीं है, लेकिन इस शब्द का प्रयोग आमतौर पर परमाणु, जैविक और रासायनिक (NBC) हथियारों के संदर्भ में किया जाता है।
सामूहिक विनाश के हथियार को WMD अधिनियम की धारा 4 (p) में परिभाषित किया गया है, जो हथियारों के एक वर्ग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है जिसमें परमाणु, रासायनिक और जैविक हथियार शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, NBC हथियारों के उपयोग को सीमित करने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशंस और समझौते किए गए हैं। इनमें 1972 का जैविक हथियार कन्वेंशन (Biological Weapons Convention of 1972), 1992 का रासायनिक हथियार कन्वेंशन (Chemical Weapons Convention of 1992) और 1925 का जिनेवा प्रोटोकॉल शामिल हैं, जिनमें से सभी ने रासायनिक और जैविक हथियारों के उपयोग को प्रतिबन्ध किया है।
1972 और 1992 की संधियों पर भारत द्वारा हस्ताक्षर और पुष्टि की गई है।
13.01.2006 को भारत द्वारा अनुमोदित स्टॉकहोम कन्वेंशन (Stockholm Convention), मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (Persistent Organic Pollutants: POPs) से बचाने के लिए एक वैश्विक संधि है।
24 फरवरी, 2004 को लागू हुई पूर्व सूचित सहमति प्रक्रियाओं (Prior Informed Consent Procedures: PIC) पर रॉटरडैम कन्वेंशन एक कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन है, जिसे रॉटरडैम में प्लेनिपोटेंटियरीज के एक सम्मेलन द्वारा 10 सितंबर 1998 को अपनाया गया था। भारत 24.05.2006 को कन्वेंशन में शामिल हुआ।