सरोगेसी के लिए वैवाहिक स्थिति, उम्र या लैंगिक स्थिति को मानदंड बनाने पर याचिका
हाल में एक 31 वर्षीया विवाहित महिला अपने दूसरे बच्चे के जन्म को “आउटसोर्स” करना चाहती है और “स्वतंत्र रूप से जीना” चाहती है। उसने एक अन्य पुरुष याचिकाकर्ता के साथ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। उसने सवाल उठाया है कि किसी को सरोगेसी करने से रोकने के लिए वैवाहिक स्थिति, उम्र या लिंग को मानदंड क्यों होना चाहिए।
क्या है सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021?
उल्लेखनीय है कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 (Surrogacy (Regulation) Act, 2021) के तहत एक विवाहित जोड़ा केवल चिकित्सा आधार पर सरोगेसी का विकल्प चुन सकता है।
कानून के अनुसार एक जोड़े को एक विवाहित भारतीय “पुरुष और महिला” के रूप में परिभाषित करता है और सरोगेसी का विकल्प चुनने के लिए महिला के लिए 23 से 50 वर्ष और पुरुष के लिए 26 से 55 वर्ष की आयु निर्धारित करता है।
सरोगेसी की अनुमति तभी होती है जब दंपत्ति को अपनी कोई संतान नहीं होनी चाहिए।
हालांकि कानून एक एकल महिला (single woman) को सरोगेसी चुनने की अनुमति देता है, लेकिन उसे 35 से 45 वर्ष की आयु के बीच की विधवा या तलाकशुदा होना चाहिए।
एकल पुरुष (Single men) सरोगेसी चुनने के लिए पात्र नहीं हैं।
कानून की आवश्यकता है कि सरोगेट मां को संतान चाहने वालों से आनुवंशिक रूप से संबंधित होना चाहिए क्योंकि यह केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है।
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