संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा का निधन

प्रख्यात संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma), जो नियमित डायलिसिस पर थे, का 84 वर्ष की आयु में 10 मई को मुंबई में उनके पाली हिल आवास पर निधन हो गया। जम्मू-कश्मीर की शैव और सूफी परंपरा के प्रतीक, पद्म विभूषण पुरस्कार विजेता पंडित शिवकुमार शर्मा ने संतूर (santoor) नामक लोक वाद्य यंत्र को क्लासिकल बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।

  • संतूर जम्मू-कश्मीर का लोक वाद्ययंत्र था, जिसे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा दिलाने का श्रेय पं. शिवकुमार को ही जाता है। इस तरह उन्होंने संतूर को वैश्विक पहचान दिलाई।
  • पं. शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था। उनके पिता पं. उमादत्त शर्मा भी जाने-माने गायक थे। शर्मा ने अपने पिता से संगीत सीखना शुरू किया, जिन्होंने जम्मू में रेडियो कश्मीर और बाद में कश्मीर में संगीत पर्यवेक्षक के रूप में काम किया।
  • एक बार जब उमा दत्त को रेडियो कश्मीर (श्रीनगर) में स्थानांतरित कर दिया गया, तो उन्होंने सुझाव दिया कि शिवकुमार शर्मा को संतूर पर अपना हाथ आजमाना चाहिए।
  • वह संगीतकार जोड़ी शिव-हरि (पंडित शिवकुमार शर्मा और पंडित हरिप्रसाद चौरसिया) में से एक थे। 1967 में पहली बार दोनों ने शिव-हरि के नाम से एक क्लासिकल एलबम तैयार किया। एलबम का नाम था ‘कॉल ऑफ द वैली।’
  • बाद में शिव-हरि ने सिलसिला (1981), लम्हे (1991) और चांदनी (1989) जैसी फिल्मों के लिए बांसुरी के दिग्गज पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के साथ संगीत तैयार किया।
  • उन्हें 1986 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1991 में पद्म श्री और 2001 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

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