वैश्विक प्लास्टिक संधि (global plastics treaty) तैयार करने पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता

संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों ने एक वैश्विक प्लास्टिक संधि (global plastics treaty) तैयार करने पर अंतरराष्ट्रीय वार्ता शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है जो प्लास्टिक के उत्पादन, उपयोग और निपटान के लिए नियम निर्धारित कर सकती है। यह निर्णय नैरोबी में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा की बैठक में लिया गया।

  • विश्व के नेताओं के पास प्लास्टिक प्रदूषण संधि पर सहमत होने के लिए वर्ष 2024 तक का समय है। कौन से तत्व कानूनी रूप से बाध्यकारी होंगे और समझौते को कैसे वित्तपोषित किया जाएगा, इस पर भी विचार किया जाना है।
  • इस बात की चिंता बढ़ रही है कि फेंका गया प्लास्टिक पर्यावासों को नष्ट कर रहा है, वन्यजीवों को नुकसान पहुंचा रहा है और खाद्य श्रृंखला को दूषित कर रहा है।
  • समर्थकों ने इस कदम को 1989 के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के बाद से दुनिया की सबसे महत्वाकांक्षी पर्यावरणीय कार्रवाइयों में से एक के रूप में वर्णित किया, जिसने ओजोन-क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया।
  • उनका कहना है कि जिस तरह जलवायु परिवर्तन के लिए पेरिस समझौता है, उसी तरह प्लास्टिक की अपनी बाध्यकारी संधि होनी चाहिए, जो प्लास्टिक कचरे को कम करने के लिए दुनिया को तैयार करे।

प्लास्टिक पर तथ्य:

  • ऐसा माना जाता है कि दुनिया के महासागरों में प्लास्टिक के पांच ट्रिलियन से अधिक टुकड़े हैं, जिन्हें टूटने में सालों लग सकते हैं।
  • हर साल 400 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है और उसमें से 40% सिंगल यूज वाला होता है। ये ऐसे प्लास्टिक हैं जिन्हें फेंकने से पहले केवल एक बार इस्तेमाल किया जाता है।
  • हर साल 80 लाख टन से अधिक प्लास्टिक दुनिया के महासागरों में प्रवेश करता है और उसमें से अधिकांश जमीन से आता है।
  • सभी प्लास्टिक का पुनर्नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है, या तो इसे बनाने के तरीके के कारण या क्योंकि यह बहुत महंगा है या ऐसा करना मुश्किल है।
  • जमीन पर या समुद्र में जानवरों को प्लास्टिक से नुकसान हो सकता है।

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