विलुप्ति के कगार पर है “मधिका भाषा”
मधिका भाषा केवल दो वक्ताओं द्वारा बोली जाती है। ये दोनों केरल के कन्नूर में रहते हैं। इनके परिवार के युवा पीढ़ी के अब मलयालम भाषा बोलने के कारण यह भाषा तेजी से विलुप्त होती जा रही है।
मधिका भाषा कन्नड़ की तरह ही बोली जाती है। यह भाषा तेलुगु, तुलु, कन्नड़ और मलयालम का मिश्रण है।
यह भाषा चकलिया समुदाय (Chakaliya community) द्वारा बोली जाती है जो सदियों पहले कर्नाटक से आये थे। प्रारंभ में इन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता दी गई थी, बाद में इन्हें केरल में अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल किया गया।
हालाँकि मधिका विभिन्न भाषाओं का मिश्रण है, लेकिन यह काफी हद तक कन्नड़ के पुराने रूप हव्यक कन्नड़ (Havyaka Kannada) से प्रभावित है।
इसकी अपनी कोई लिपि नहीं है।