विदेशी संस्थानों के साथ संयुक्त, दोहरी और जुड़वा डिग्री कार्यक्रमों की अनुमति

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) देश में डुअल डिग्री और ट्विन डिग्री कार्यक्रमों को मंजूरी दे दी है। भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान विदेशी शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से जल्द ही संयुक्त (joint degree) व दोहरी डिग्री (dual degrees) या जुड़वा कार्यक्रमों (twinning) की पेशकश कर सकते हैं।

नियम तीन प्रकार के डिग्री कार्यक्रमों की अनुमति देते हैं:

  • दोहरी डिग्री (Dual Degree): छात्रों को प्रत्येक संस्थान से कुल क्रेडिट का कम से कम 30% अर्जित करना चाहिए। किसी संस्थान में पाठ्यक्रम (पाठ्यक्रमों) के लिए अर्जित क्रेडिट की गणना दोनों संस्थानों द्वारा प्रदान की जाने वाली डिग्रियों में की जाएगी। इस मामले में, दोनों संस्थानों की डिग्री आवश्यकताओं को पूरा करने पर, अलग-अलग और एक साथ, भारतीय और विदेशी संस्थानों द्वारा डिग्री प्रदान की जाएगी।
  • संयुक्त (Joint Degree): एक ‘संयुक्त डिग्री कार्यक्रम’ के लिए, संबंधित भारतीय और विदेशी संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। कार्यक्रम को पूरा करने वाले छात्रों को भारतीय उच्च शिक्षण संस्थान और सहयोगी विदेशी संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान की जाने वाली डिग्री प्रदान की जाएगी। छात्रों को प्रत्येक सहयोगी संस्थान से कुल क्रेडिट का कम से कम 30% अर्जित करना होगा।
  • जुड़वां (Twinning): एक भारतीय विश्वविद्यालय में नामांकित छात्रों को एक विदेशी विश्वविद्यालय में अपना कार्यक्रम पूरा करने की अनुमति दी जाएगी। छात्र विदेशी शिक्षण संस्थान में कार्यक्रम के लिए आवश्यक क्रेडिट का अधिकतम 30% अर्जित कर सकते हैं। ऐसे जुड़वां कार्यक्रमों के तहत दी जाने वाली डिग्री भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाएगी।

संस्थानों के लिए अर्हता

  • इसके तहत देश का कोई भी विश्वविद्यालय किसी अन्य देश के विश्वविद्यालय के साथ आपसी समझौते के तहत डुअल डिग्री कार्यक्रमों का संचालन कर सकती है।
  • हालाँकि केवल वैसे भारतीय संस्थान ही इन कार्यक्रमों में भाग ले सकते हैं जो राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (Institution of Eminence), नैक (NAAC) यानी नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडेशन काउंसिल की ओर से 3.01 स्कोर के साथ मान्यता प्राप्त हो या एनआईआरएफ (NIRF) यानी नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क के तहत शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में शुमार हो या इन संस्थानों को क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग और टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में शीर्ष 1000 में स्थान प्राप्त हों।
  • वैसे विदेशी विश्वविद्यालय इस कार्यक्रम का हिस्सा होंगे जो टाइम्स हायर एजुकेशन या क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के शीर्ष 1000 में रैंक वाले होंगे।
  • इन मानदंडों पर खरे उतरने वाले संस्थानों को अलग से मान्यता या स्वीकृति लेनी की आवश्यकता नहीं है। साथ ही छात्रों को भी विदेशी विश्वविद्यालय से 30 फीसदी क्रेडिट स्कोर हासिल करना होगा। लेकिन संस्थानों को ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने होंगे।

अन्य विशेषताएं

  • ये नियम और स्वीकृत किसी ODL यानी ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग यूनिवर्सिटी या संस्थान के द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों पर लागू नहीं होंगे। इसका मतलब यह है कि दोहरी डिग्री कार्यक्रम किसी ऑनलाइन या दूरस्थ शिक्षा माध्यम से पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रमों पर लागू नहीं होगा।
  • इस व्यवस्था के तहत भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में पंजीकृत छात्र आंशिक रूप से यूजीसी नियमों का पालन करते हुए एक विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान में अध्ययन कर सकेंगे।
  • इस तरह के शैक्षिक जुड़वा कार्यक्रमों के तहत दी जाने वाली डिग्री भारतीय संस्थानों की ओर से दी जाएगी। संयुक्त डिग्री कार्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम भारतीय और विदेशी उच्च शिक्षण संस्थान मिलकर तैयार करेंगे।
  • साथ ही कार्यक्रम के पूरा होने पर दोनों संस्थानों की ओर से एक ही प्रमाणपत्र के साथ छात्रों को डिग्री दी जाएगी।
  • नए नियमों के तहत भारतीय छात्रों को देश में ही रहते हुए एक सहयोगी तंत्र के माध्यम से ‘उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा’ मिल सकेगी।
  • इस पहल से भारत में आकर पढ़ाई करने वाले विदेशी छात्र भी भारत, भारतीय संस्कृति और भारतीय समाज के बारे में और अधिक जानकारी ले पाएंगे।

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