विदेशी दान प्राप्त करना ‘मौलिक या पूर्ण अधिकार नहीं’ है-सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस ए.एम. खानविलकर के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 8 अप्रैल को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) (Foreign Contribution (Regulation) Act (FCRA) ), 2010 में प्रतिबंध लगाने वाले वर्ष 2020 के संशोधनों को बरकरार रखा है।
- बेंच ने कहा कि किसी को भी विदेशी अंशदान (Foreign Contribution) प्राप्त करने का मौलिक या पूर्ण अधिकार नहीं (no one has a fundamental or absolute right) है।
- अदालत ने तर्क दिया कि विदेशी धन की बेलगाम आमद (की प्राप्ति) राष्ट्र की संप्रभुता को अस्थिर कर सकती है।
- सांस्कृतिक, शैक्षिक, धार्मिक गतिविधियों में लगे व्यक्तियों और गैर सरकारी संगठनों सहित याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह संशोधन उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने कहा कि नई व्यवस्था छोटे और कम दिखाई देने वाले गैर सरकारी संगठनों को विदेशी चंदा वितरित करने की भारत में मध्यस्थ संगठनों की क्षमता पर पूर्ण प्रतिबंध के समान है।
- लेकिन अदालत ने माना कि संशोधन केवल विदेशी दान की आमद को नियंत्रित करने के लिए एक सख्त नियामक ढांचा प्रदान करते हैं। अदालत ने कहा, ‘विदेशी धन के स्वतंत्र और अनियंत्रित प्रवाह में देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे और राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता है।
- शीर्ष अदालत ने कहा कि विदेशी अंशदान (फॉरेन कंट्रीब्यूशन) की आमद की अनुमति देना, जो कि एक दान है, कानून द्वारा समर्थित राज्य की नीति का मामला है। राज्य ऐसे विदेशी दान की प्राप्ति को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर सकता है, क्योंकि नागरिकों के पास विदेशी दान प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है।
- इसके अलावा, अदालत ने कहा, विदेशी अंशदान चाहने वाले किसी भी व्यक्ति के बारे में यह नहीं जा सकता है कि वह “आम या सामान्य व्यवसाय” में संलग्न है।
विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) संशोधन
- उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने विदेशी अंशदान प्राप्त करने के लिए कई शर्तें लगाने के लिए इस कानून में संशोधन किये हैं।
- अंशदान प्राप्त करने वाले FCRA खातों का उपयोग करने और FCRA के तहत पंजीकरण के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है।
- उन्हें NGO और अंशदान प्राप्तकर्ताओं को विदेशी दान के लिए “वन-पॉइंट एंट्री” के रूप में नई दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक की एक निर्दिष्ट शाखा में एक नया FCRA खाता खोलना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
- अनिवासी भारतीयों (NRI) द्वारा किए गए दान को “विदेशी अंशदान” के रूप में नहीं माना जाता है, हालांकि भारतीय मूल के ऐसे व्यक्ति से दान को “विदेशी अंशदान ” के रूप में माना जाता है यदि उसने जिसने विदेशी राष्ट्रीयता ग्रहण कर ली है।
- कई संस्थाओं को विदेशी दान प्राप्त करने से रोक दिया गया है, जिसमें चुनाव प्रत्याशी, एक पंजीकृत समाचार पत्र से जुड़े लोग, न्यायाधीश, सरकारी कर्मचारी या सरकार द्वारा नियंत्रित या स्वामित्व वाली किसी भी इकाई के कर्मचारी और किसी भी विधायिका के सदस्य शामिल हैं। राजनीतिक दलों और उनके पदाधिकारियों को भी विदेशी धन प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है।
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