वित्त वर्ष 21-22 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का ट्रेंड
भारत ने वित्त वर्ष 21-22 में 84,835 मिलियन डालर का उच्चतम वार्षिक FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्रवाह प्राप्त किया, जो पिछले साल की FDI से 2.87 बिलियन अमरीकी डालर अधिक है। इससे पहले, FDI प्रवाह वित्त वर्ष 19-20 में 74,391 मिलियन डालर से बढ़कर वित्त वर्ष 20-21 में 81,973 मिलियन अमरीकी डालर हो गया था। उल्लेखनीय है अंकटाड विश्व निवेश रिपोर्ट (WIR) 2022 के अनुसार, 2021 में FDI आकर्षित करने वाले शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाओं भारत 7वें स्थान पर था।
भारत में FDI इक्विटी प्रवाह वाले शीर्ष देश
वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में शीर्ष देश रहे: सिंगापुर (27.01%) और यूएसए (17.94%), मॉरीशस (15.98%), नीदरलैंड (7.86%) और स्विट्जरलैंड (7.31%)।
वर्ष 2021-22 के दौरान FDI आकर्षित करने वाले शीर्ष 5 सेक्टर
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (24.60%), सेवा क्षेत्र (12.13%), ऑटोमोबाइल उद्योग (11.89%), ट्रेडिंग 7.72% और निर्माण (इन्फ्रास्ट्रक्चर) गतिविधियाँ (5.52%)।
पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में विनिर्माण क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 76% की वृद्धि हुई है।
वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सर्वाधिक एफडीआई इक्विटी प्रवाह प्राप्त करने वाले शीर्ष 5 राज्य
कर्नाटक (37.55%), महाराष्ट्र (26.26%), दिल्ली (13.93%), तमिलनाडु (5.10%) और हरियाणा (4.76%)।
संवेदनशील क्षेत्रों में निवेश के लिए गृह मंत्रालय से सुरक्षा मंजूरी आवश्यक
भारत में गैर-महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आटोमेटिक रूट के माध्यम से 100% तक FDI की अनुमति है, अर्थात ऐसे सेक्टर को गृह मंत्रालय (MHA) से सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।
दूसरी ओर पाकिस्तान और बांग्लादेश से किसी भी निवेश के अलावा रक्षा, मीडिया, दूरसंचार, उपग्रहों, निजी सुरक्षा एजेंसियों, नागरिक उड्डयन और खनन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों (sensitive sectors) में निवेश के लिए गृह मंत्रालय से सरकार की मंजूरी या सुरक्षा मंजूरी आवश्यक है।