वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index)
भारतीय रिज़र्व बैंक का समग्र वित्तीय समावेशन सूचकांक (FI-Index) देश भर में वित्तीय समावेशन की स्थिति पर प्रकाश डालता है। मार्च 2022 में वित्तीय समावेशन सूचकांक 56.4 था, जो पिछले सूचकांक के मुकाबले सभी मापदंडों में वृद्धि दर्शाता है। पिछले साल मार्च में यह इंडेक्स 53.9 पर था।
मार्च 2017 को समाप्त अवधि के लिए यह 43.4 पर था, जो पिछले पांच वर्षों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच में तेजी से सुधार दिखा रहा है।
वित्तीय समावेशन सूचकांक वित्तीय समावेशन के विभिन्न पहलुओं पर 0 और 100 के बीच के एक मूल्य में जानकारी प्राप्त करता है, जहां 0 पूर्ण वित्तीय बहिष्करण (complete financial exclusion) का प्रतिनिधित्व करता है और 100 पूर्ण वित्तीय समावेशन (full financial inclusion) को दर्शाता है।
अगस्त 2021 में सरकार और संबंधित क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक के साथ-साथ पेंशन क्षेत्र के विवरण को शामिल करते हुए एक व्यापक सूचकांक के रूप में समावेशन सूचकांक (FI सूचकांक) की अवधारणा की गई थी।
FI-सूचकांक बिना किसी ‘आधार वर्ष’ के बनाया गया है, और हर साल जुलाई में प्रकाशित होता है।
FI-सूचकांक में तीन व्यापक मानदंड शामिल हैं: पहुंच (access)-35 प्रतिशत के भार के साथ; 45 प्रतिशत वेटेज के साथ उपयोग (usage); और 20 प्रतिशत वेटेज के साथ गुणवत्ता (quality)। इनमें से प्रत्येक के साथ विभिन्न आयाम की गणना कई संकेतकों के आधार पर की जाती है।